भोपाल. दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री बनने की कहानी दिलचस्प रही। दिग्विजय मुख्यमंत्री बन गए और माधवराव सिंधिया दिल्ली में हेलीकॉप्टर तैयार कर फोन आने का इंतजार करते रहे। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा। दिग्विजय सिंह प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे। 1993 में नवंबर में विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस को अप्रत्याशित रूप से बहुमत मिला। इस बहुमत के बाद सीएम बनने की दौड़ में श्यामाचरण शुक्ल, माधवराव सिंधिया और सुभाष यादव जैसे नेता शािमल हो गए। दिग्विजय सिंह उस समय सांसद थे और विधानसभा चुनाव नहीं लड़े थे।
राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा गर्म रही
दिग्विजय के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये भी कहा गया कि माधवराव को रोकने के लिए अर्जुन सिंह और दिग्विजय ने स्वांग रचा था। हालांकि, इसके कोई प्रमाण नहीं हैं। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक गिरिजाशंकर कहते हैं कि दिग्विजय को राजनीति में श्यामाचरण शुक्ल लेकर आए और अर्जुन सिंह ने उनको पहली बार मंत्री बनाया और दोनों के सामने डिब्बा खुला तो दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बन गए।
दिग्विजय के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये भी कहा गया कि माधवराव को रोकने के लिए अर्जुन सिंह और दिग्विजय ने स्वांग रचा था। हालांकि, इसके कोई प्रमाण नहीं हैं। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक गिरिजाशंकर कहते हैं कि दिग्विजय को राजनीति में श्यामाचरण शुक्ल लेकर आए और अर्जुन सिंह ने उनको पहली बार मंत्री बनाया और दोनों के सामने डिब्बा खुला तो दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बन गए।
डिब्बा खुला तो दिग्विजय का नाम
भारी कशमकश के बीच विधायक दल की बैठक शुरू हुई, जिसमें मुख्यमंत्री का चुनाव होना था। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक एनके सिंह के मुताबिक अर्जुन सिंह ने पिछड़ा वर्ग से मुख्यमंत्री बनाने की वकालत करते हुए सुभाष यादव का नाम आगे बढ़ा दिया। बैठक में सुभाष के नाम पर सहमति न बनते देख अर्जुन सिंह ने अपनी हार मान ली और भाषण खत्म कर बाहर चले गए।
भारी कशमकश के बीच विधायक दल की बैठक शुरू हुई, जिसमें मुख्यमंत्री का चुनाव होना था। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक एनके सिंह के मुताबिक अर्जुन सिंह ने पिछड़ा वर्ग से मुख्यमंत्री बनाने की वकालत करते हुए सुभाष यादव का नाम आगे बढ़ा दिया। बैठक में सुभाष के नाम पर सहमति न बनते देख अर्जुन सिंह ने अपनी हार मान ली और भाषण खत्म कर बाहर चले गए।
उन्होंने बताया कि इस दौरान माधवराव सिंधिया दिल्ली में हेलीकॉप्टर के साथ फोन आने का इंतजार कर रहे थे। उनसे कहा गया था कि जैसे ही खबर दी जाए तत्काल भोपाल आ जाएं। श्यामाचरण और सुभाष यादव के मुख्यमंत्री न बनने पर अर्जुन सिंह अपने विधायकों का समर्थन माधवराव को दे देंगे।
बैठक में जोर आजमाइश जारी थी, केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर प्रणब मुखर्जी, सुशील कुमार शिंदे और जनार्दन पुजारी मौजूद थे। विवाद बढ़ा तो प्रणब मुखर्जी ने गुप्त मतदान कराया। गुप्त मतदान हुआ तो 174 में से 56 विधायकों ने श्यामाचरण के पक्ष में राय जताई। 100 से ज्यादा विधायकों ने दिग्विजय सिंह के पक्ष में मतदान किया था।
नरसिम्हा राव ने किया था प्रणब को फोन
नतीजा आने के बाद कमलनाथ दौड़ते हुए उस कक्ष की तरफ गए, जहां पूरे भवन का एकमात्र टेलीफोन चालू था। कमलनाथ ने वहां से किसी को दिल्ली फोन किया और वहां से थोड़ी देर बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्ह राव का फोन आ गया। नरसिम्हा राव ने फोन पर प्रणब मुखर्जी से कहा कि जिसके पक्ष में विधायकों ने ज्यादा मतदान किया है उसे मुख्यमंत्री बना दिया जाए। इस पूरे नाटकीय घटनाक्रम के बाद दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बन गए और माधवराव फोन का इंतजार ही करते रहे। इसके बाद अलग-अलग तरह की चर्चाएं होती रहीं।
नतीजा आने के बाद कमलनाथ दौड़ते हुए उस कक्ष की तरफ गए, जहां पूरे भवन का एकमात्र टेलीफोन चालू था। कमलनाथ ने वहां से किसी को दिल्ली फोन किया और वहां से थोड़ी देर बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्ह राव का फोन आ गया। नरसिम्हा राव ने फोन पर प्रणब मुखर्जी से कहा कि जिसके पक्ष में विधायकों ने ज्यादा मतदान किया है उसे मुख्यमंत्री बना दिया जाए। इस पूरे नाटकीय घटनाक्रम के बाद दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बन गए और माधवराव फोन का इंतजार ही करते रहे। इसके बाद अलग-अलग तरह की चर्चाएं होती रहीं।
Manthan News Just another WordPress site