– शहर के 2121 भूमिहीन हितग्राहियों में महज 50 को दिया गया है आवासीय पट्टा
अफसरों ने इसे अपने नजरिए से ही देखा और अन्य योजनाओं की तरह इस पर भी अमल नहीं किया। यही वजह है कि जो टारगेट भूमिहीनों को पट्टा वितरण का मिला था उसके अनुसार कार्य नहीं हो पाया। बीते साल शासन की ओर से निर्देश जारी किया गया था कि 27 जनवरी 2018 तक पट्टा वितरण का कार्य पूरा कर इसकी रिपोर्ट पांच फरवरी 2018 के पहले प्रस्तुत की जाए। रीवा से समय पर जानकारी नहीं भेजी गई और बाद में जब भेजी गई तो उसमें कहा गया है कि अभी वितरण कार्यक्रम पूरा नहीं हो पाया है। बताया गया है कि राÓय सरकार ने 31 दिसंबर 2014 की स्थिति में नगरीय क्षेत्र में भूमिहीनों का सर्वे कराया था। इसमें ऐसे लोग थे जिनके पास स्वयं का कोई मकान या भूमि नहीं थी और सरकारी भूमि पर ही झुग्गियां बनाकर रहते हैं।
रीवा शहर में 2121 लोगों को चिन्हित किया गया था। जिसमें पट्टा वितरण का कार्य केवल 50 लोगों पर ही किया जा सका है। हितग्राहियों द्वारा कई बार इसकी शिकायतें भी की जाती रही हैं। अब नई सरकार बनने के बाद इस पर रिपोर्ट तलब की गई तो चौकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। केवल रीवा ही नहीं अन्य जिलों में भी पट्टा वितरण की यही स्थिति है। कुछ दिन पहले ही शहर के निराला नगर स्थित बसोर बस्ती के लोगों ने कमिश्नरी का घेराव किया था, मांग उठाई थी कि 248 लोगों को पट्टा वितरण का आश्वासन मिला था लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
– सप्ताह भर में पट्टा वितरण बड़ी चुनौती
शासन की ओर से कलेक्टर एवं नगर निगम आयुक्त को जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि सप्ताह भर के भीतर भूमिहीनों को पट्टा वितरण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। रीवा में यह प्रक्रिया निर्धारित अवधि में हो पाना मुश्किल है। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि फाइल कलेक्ट्रेट में है, पट्टा वितरण का कार्य वहीं से होगा। कलेक्टर कार्यालय के अधिकारियों को इसके बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है।
– आवास लेने वालों को नहीं मिलेगा पट्टा
शहरी क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ स्लम बस्ती में रहने वालों एवं भूमिहीनों को दिया जा रहा है। रीवा शहर में अलग-अलग बस्तियों के करीब पांच सौ लोगों को मकान आवंटित किए गए हैं। कहा जा रहा है कि मकान का जो अधिकार पत्र मिलेगा, उसे ही पट्टा की श्रेणी में रखा जाएगा। पहले यह दावा सरकार की ओर से किया गया था कि जो जहां पर बसे हैं, वहीं पर उन्हें पट्टा दिया जाएगा।
-1550 नामों को कर दिया अपात्र
पूर्व में कराए गए सर्वे में रीवा में 2121 हितग्राहियों को भूमि माना गया था। इनका परीक्षण करने के बाद स्थाई पट्टा के लिए 290 और अस्थाई पट्टे के लिए 281 सदस्यों को पात्र माना गया था। इस तरह से 1550 हितग्राहियों को अपात्र घोषित कर दिया गया था। इनकी ओर से उठाई गई मांग के बाद तत्कालीन कलेक्टर ने आश्वासन दिया था कि सूची का फिर से सत्यापन कराया जाएगा और छूटे नामों को भी लाभ देने का प्रयास होगा। प्रशासन की ओर से इस पर फिर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
– यह है जिलों की स्थिति
रीवा- सर्वे में यहां पर 2121 नाम भूमिहीनों के सामने आए थे, जिसमें 1550 अपात्र किए जाने के बाद केवल 50 हितग्राहियों को ही अस्थाई पट्टा वितरित किया गया था। सूची के अनुसार 521 को पट्टा दिया जाना शेष है।
सतना- भूमिहीनों के सर्वे में 5686 लोग चिन्हित हुए और पट्टा वितरण के योग्य 3442 ही पात्र किए गए। यहां पर 1801 लोगों को पट्टा दिया गया है, जिसमें स्थाई 117 और अस्थाई 1684 हैं। अभी 1641 लोगों को वितरण बाकी है।
सीधी- सर्वे में 163 नाम सामने आए, इनका सत्यापन कराया गया तो 48 ही पात्र मिले। इसमें 32 स्थाई और 16 अस्थाई पट्टा वितरण किया गया है। दावा है कि शतप्रतिशत कार्य हो चुका है।
सिंगरौली- बिना भूमि और भवन के 1400 लोग सर्वे में पाए गए, इनका परीक्षण हुआ तो आवासीय पट्टा वितरण के योग्य 545 लोग पाए गए। सूची के अनुसार यहां भी पट्टा वितरण फिलहाल नहीं होना है।
पन्ना– प्रशासन के सर्वे में 465 लोग भूमिहीन के रूप में चिन्हांकित किए गए थे, इसमें से 45 को पट्टा देने के लिए प्रस्तावित किया गया था। दावा किया गया है कि 37 लोगों को पट्टा मिल भी चुका है, अभी आठ को दिया जाना शेष है।