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तीन-तीन शादियों की पोल खुली तो पति ने पत्नी पर ही दर्ज करा दिया झूठा मुकदमा

Displaying 3.jpgपूनम पुरोहित मंथन न्यूज़ शिवपुरी – झांसी की सीपरी बाजार पुलिस ने 30 मार्च 2017 को केन्द्रीय विद्यालय करैरा की जिस शिक्षिका पूनम गुप्ता पर फरियादी विजय गुप्ता को ब्लैकमेल करने का मामला दर्ज किया है उसकी असलियत कुछ और ही है, बल्कि जो सच्चाई सामने आई है उससे विजय गुप्ता ही आरोपों के घेरे में खड़ा नजर आता है। विजय गुप्ता ने शादीशुदा होने के बाद भी धोखा देकर पूनम गुप्ता से शादी की और उसके बाद उसे दहेज के लिए न केवल प्रताडि़त किया, बल्कि चैक और नगदी के जरिये लाखों रूपये वसूल किए। आरोपी विजय गुप्ता के खिलाफ शिवपुरी की न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्रीमती नीलू संजीव श्रृंगीऋषि ने तीन साल पहले दहेज प्रताडऩा और धोखाधड़ी का भादवि की धारा 494, 495, 498ए और 420 का मामला कायम किया था। मजे की बात तो यह है कि झांसी की सीपरी बाजार पुलिस में जब आरोपी विजय गुप्ता ने पूनम गुप्ता पर मामला दर्ज कराना चाहा तो तत्कालीन थाना प्रभारी ने जांच के बाद यह मामला झूठा पाते हुए प्रकरण कायम नहीं किया, लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद आए नए थाना प्रभारी ने प्रताडि़ता पूनम गुप्ता पर ही मामला कायम कर दिया जबकि पूनम के पास अपनी शादी के सभी वैधानिक दस्तावेज हैं। उनके पास न केवल शादी का  कार्ड है, बल्कि शादी के फोटो भी हैं जिससे स्पष्ट है कि विजय गुप्ता और पूनम की शादी हुई थी। 

पूनम गुप्ता केन्द्रीय विद्यालय में ड्राईंग शिक्षिका के पद पर पदस्थ हैं और मूल रूप से बनारस की रहने वाली हैं जबकि विजय गुप्ता आईटीआई कॉलेज के पास सिद्धार्थ नगर सीपरी बाजार झांसी का रहने वाला है। उन्होंने बताया कि सन् 2011 में वह केन्द्रीय विद्यालय सोनभद्र में पदस्थ थी उस समय मेट्रीमोनियल साइट पर उनके विवाह का बायोडाटा पड़ा हुआ था जिसे देखकर विजय गुप्ता ने उनके परिजनों से संपर्क किया। विजय गुप्ता की उस समय जॉब मुम्बई सीआईएफ में थी। सितम्बर 2011 में विजय गुप्ता उनके घर बनारस आया जहां पिता से शादी की बातचीत की और 28 दिसम्बर 2011 को दोनों का विवाह भी मुम्बई में संपन्न हो गया। शादी के बाद वह सोनभद्र और उनके पति विजय गुप्ता मुम्बई में रहते थे तथा छुट्टियों में वह अपने पति के पास मुम्बई आ जाती थी। मुम्बई के खर्चों को जब उसका पति विजय वहन नहीं कर पाता था तो वह उसकी हर माह आर्थिक मदद करती थी आखिरकार खर्चों से परेशान होकर दोनों ने अपने-अपने स्थानांतरण का निर्णय लिया। इस निर्णय के तहत उसकी ईमेल आईडी पर ट्रांसफर फार्म के लिए विजय गुप्ता ने अपने जॉब सटिर्फिकेट भी भेजे। आखिरकार 16 मई 2013 को उसका केन्द्रीय विद्यालय शिवपुरी में स्थानांतरण हो गया जबकि विजय गुप्ता का अक्टूबर 2013 में झांसी में स्थानांतरण हो गया, लेकिन इसके बाद भी उसके पति की दहेज के लिए मांग जारी रही। पूनम बताती हैं कि चूंकि दोनों की जॉब अलग-अलग स्थानोंं पर थी इसलिए वह शिवपुरी और विजय झांसी रहने लगा। इसके बाद विजय की दहेज की मांग बढ़ गई और उसने एक मुश्त उससे दो लाख रूपये तथा इसके अलावा प्रतिमाह 20 हजार रूपये की मांग की। जिसे वहन करना उसके लिए संभव नहीं था। पूनम गुप्ता बताती हैं कि इसके बाद उनके पति विजय का उनके यहां आना बंद हो गया। जिस पर उन्होंने विजय को मनाने के लिए चैक से राशि भेजी। लेकिन इसके बाद भी विजय जब नहीं आया तो वह झांसी में उसके घर पहुंची जहां देखा कि वह पहले से ही शादीशुदा है और उसकी पत्नी सोनल गुप्ता उसके साथ रह रही है, उसका एक बेटा भी है। जानकारी लेने पर पता चला कि सोनल से विजय का विवाह 2008 में उसकी शादी के पूर्व हुआ था। बाद में पता चला कि विजय की एक और पत्नी सीमा गुप्ता भी है। जब विजय की पूरी असलियत उसके सामने आ गई तो उसने पहले देहात थाना शिवपुरी में शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई फिर मई 2014 में पुलिस अधीक्षक शिवपुरी के यहां फरियाद की। पुलिस ने जब उसे न्याय नहीं दिया तो उसने विजय गुप्ता के खिलाफ न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के न्यायालय में प्रायवेट इस्तगासा पेश की। न्यायालय ने उनके तथ्यों और प्रमाणों से सहमत होते हुए विजय गुप्ता के विरूद्ध मामला दर्ज कर लिया जिससे निजात पाने के लिए ही उसने झांसी में उसके विरूद्ध प्रकरण कायम कराया। 

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