Breaking News

क्‍या होता है एग्जिट पोल, कैसे कराया जाता है सर्वे

what-is-exit-poll 09 03 2017पूनम पुरोहित मंथन न्यूज़ –चुनाव के दौरान निर्वाचकों और मतदाताओं से बातचीत कर विभिन्न राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों की जीत हार के पूर्वानुमानों के आकलन की प्रक्रिया चुनावी सर्वे कहलाती है। विभिन्न स्तरों के आधार पर किए ये सर्वेक्षण अलग-अलग प्रकार के होते हैं।

एक्जिट पोल
इसका मतलब होता है कि जब मतदाता अपना वोट डालकर निकल रहा हो तब उससे पूछा जाए कि उसने किसे वोट दिया। इस आधार पर किए गए सर्वेक्षण से जो व्यापक नतीजे निकाले जाते हैं उन्हें ही एक्जिट पोल कहते हैं। ओपिनियन पोल इससे सर्वथा भिन्न होते हैं। इस सर्वे में निर्वाचकों से पूछा जाता है कि वे अपना मत किसे देने का मन बना रहे हैं। नीदरलैंड के एक समाजशास्त्री और पूर्व राजनेता मार्सेल वान डैम ने दुनिया को एक्जिट पोल से रूबरू कराया। 15 फरवरी, 1967 को पहली बार वहां के चुनावों में इस विधा का इस्तेमाल किया गया।
ओपिनियन पोल
आज चुनावी ओपिनियन पोल का जो स्वरूप हमें दिखाई देता है कभी उसका इस्तेमाल पत्रकार विभिन्न मसलों पर जनता की नब्ज टटोलने के लिए करते थे। इसकी शुरुआत का श्रेय जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन को जाता है। इन दोनों ने सबसे पहले अमेरिकी लोगों के बीच एकत्र सैंपल सर्वे द्वारा उनकी एक राय परिभाषित की। यह विधा इतनी लोकि‍प्रिय हुई कि ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस ने भी इसे अपनाने से गुरेज नहीं किया। ब्रिटेन और फ्रांस में जब इन्हें पहली बार क्रमशः 1937 और 1938 में अपनाया गया तो इनके नतीजे कमोबेश बिलकुल सटीक निकले।
भारत में चलन
इसकी शुरुआत का श्रेय इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के मुखिया एरिक डी कोस्टा को जाता है। चुनाव के दौरान इस विधा द्वारा जनता के मिजाज को परखने वाले वे पहले व्यक्ति थे।
पोल पर प्रतिबंध
शुरुआती दिनों में ओपिनियन पोल जिस तेजी के साथ लोकपि्रय हुआ, उतनी ही तेजी से वह राजनीतिक दलों के आंखों की किरकिरी बनने लगा। लिहाजा सभी दल एक सुर में इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने लगे। 1999 में चुनाव आयोग ने बाकायदा एक एक्जीक्यूटिव ऑर्डर के तहत ओपिनियन पोल और एक्जिट पोल को प्रतिबंधित कर दिया। एक समाचार पत्र ने आयोग के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने इस आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि आयोग के पास ऐसे ऑर्डर जारी करने की शक्ति नहीं है और किसी मसले पर सर्वदलीय सर्वसम्मति उसके खिलाफ कानूनी प्रतिबंध का आधार नहीं होती है।
दोबारा प्रयास
2009 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर इसे प्रतिबंधित किए जाने की मांग जोरों से उठने लगी। लिहाजा आयोग ने कानून मंत्रालय को प्रतिबंध के संदर्भ में कानून में बदलाव के लिए तुरंत एक अध्यादेश लाए जाने संबंधी पत्र लिखा। 2009 में संप्रग सरकार ने जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 में संशोधन कर दिया। संशोधित कानून के अनुसार चुनावी प्रक्रिया के दौरान जब तक अंतिम वोट नहीं डाल दिया जाता, एक्जिट पोल नही किया जा सकता है। कोई भी पोल के नतीजों को न तो दिखा सकता है और न ही प्रकाशित कर सकता है। हालांकि तब ओपिनियन पोल पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया लेकिन प्रतिबंध की तलवार इस पर भी लटकी हुई है।
प्रतिबंध पर दलील
– ओपिनियन पोल और इस पर आधारित पूर्वानुमानों का लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर संज्ञान लिया जाता है।
– ये सर्वेक्षण मतदाता के वोट करने की निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।
– चूंकि ज्यादातर पूर्वानुमान गलत साबित हुए हैं, इसलिए मतदाताओं के निर्णय को प्रभावित करने की यह प्रक्रिया या तो अवैध है या फिर राजनीति में सभी को समान मौके दिए जाने को प्रतिकूल ढंग से प्रभावित करने के चलते अवांछनीय है।
परदेश में प्रावधान
दुनिया के कई लोकतंत्र इस अहम मसले पर दोफाड़ हैं। कुछ इसे सही भी ठहराते हैं।
जहां है पूरी आजादीः बेल्जियम, डेनमार्क, जर्मनी और आयरलैंड
कुछ शर्तों के साथ छूटः चीन, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको
मतदाता पर असर
एक्जिट पोल से मतदाता के प्रभावित होने की जिस दलील को देते हुए इसे प्रतिबंधित किया गया है, दुनिया भर के विशेषज्ञ इस पर एकमत नहीं है। कुछ लोग इस दलील को सिरे से खारिज करते हैं तो कुछ का मानना है कि अगर प्रभावित भी हों तो प्रतिबंध लगाने की हद तक नहीं जाना चाहिए।
हालांकि एक्जिट पोल से मतदाता पर पड़ने वाले असर पर प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और फ्रांस की सीआरईएसटी संस्था में बतौर रिसर्च फेलो कार्यरत मनसा पतनम ने एक व्यापक शोध किया। “लर्निंग फ्रॉम एक्जिट पोल्स इन सीक्वेंशियल इलेक्शंसः इवीडेंस फ्राम ए पॉलिसी एक्सपेरीमेंट इन इंडिया” नाम से प्रकाशित 60 पेज के इस शोध पत्र में एक्जिट पोल के असर से मतदाताओं के व्यवहार में दिखे बदलाव की पड़ताल की गई है।
निष्कर्ष में बताया गया है कि अंतिम घंटों के दौरान मतदान करने आए करीब 20 फीसद मतदाताओं ने वोटिंग के शुरुआती क्रम में एक्जिट पोल में बढ़त लेनी वाली पार्टियों के पक्ष में मतदान किया।

Check Also

MP News: कर्मचारियों को 3% डीए में बढ़ोतरी! 4 माह का एरियर भी देने की तैयारी, जल्द हो सकती है घोषणा

🔊 Listen to this मध्यप्रदेश सरकार अपने 7.5 लाख कर्मचारियों को बड़ी खुशखबरी देने जा …