मंथन न्यूज़ दिल्ली –नोटबंदी के फायदे और नुकसान के अनगिनत तर्कों के बीच आम लोग इस बात से परेशान हैं कि कहीं वो आयकर विभाग के निशाने पर न आ जाएं। लेकिन केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के मुखिया सुशील चंद्रा ने साफ तौर पर कहा कि ईमानदार लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। आयकर विभाग के अधिकारी ईमानदार लोगों को परेशान नहीं करेंगे।
‘ईमानदार न हों परेशान’
सीबीडीटी के मुखिया सुशील चंद्रा ने कहा कि नोटबंदी के दौरान अगर किसी शख्स ने अपने खाते में ढ़ाई लाख जमा किए हों, तो उनसे किसी तरह की पूछताछ नहीं की जाएगी। लेकिन ऐसे शख्स जिनके खातों में ढ़ाई लाख से ज्यादा जमा है और उनके आयकर रिटर्न मेल नहीं खाएंगे तो उनसे सवाल-जवाब किया जाएगा। आयकर विभाग का कहना है कि ऐसे लोग जिन्होंने 500 और एक हजार के प्रतिबंधित नोट में अपने खातों में ढाई लाख से ज्यादा जमा किया है, तो उन लोगों को नोटिस भेजा जाएगा।
‘सॉफ्टवेयर के जरिेए हो रही निगरानी’
सीबीडीटी का कहना है कि बैंकों ने जमाकर्ताओं के बारे में विस्तार से जानकारी भेजी है। आयकर विभाग ने एक इनहाउस सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिसकी मदद से उन लोगों की सूची तैयार की गई है जिनके खातों में एक करोड़ से ज्यादा जमा है, और पिछले साल के इनकम टैक्स रिटर्न के हिसाब से उन लोगों की आय मेल नहीं खा रही है। इसी तरह से दो लाख और ढाई लाख जमा कराने वालों की सूची तैयार की गई है। लेकिन आयकर विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश है कि अगर किसी के खाते में ढाई लाख तक जमा हों तो ऐसे लोगों को किसी भू सूरत में परेशान न किया जाए।
…जब एक शख्स ने लौटाए 10 करोड़ रुपये
सीबीडीटी चेयरमैन ने कहा कि शैक्षणिक संस्थान चलाने वाले एक ट्रस्टी ने अपने सभी कर्मचारियों के खाते में दो लाख रुपये जमा कराए। उनमें से एक कर्मचारी ने शिकायत की, शिकायत की जांच करने के बाद कई तरह की अनियमितताएं पाई गईं, हालांकि उस ट्रस्टी ने आयकर विभाग को दस करोड़ जमा करा दिए। उन्होंने कहा कि अगले वित्तीय वर्ष से अगर स्क्रूटनी में किसी तरह की गड़बड़ी मिलेगी तो करदाता को रिफंड की जाने वाली रकम रोक ली जाएगी। लेकिन इस तरह की प्रक्रिया उन्हीं मामलों में की जाएगी, जिसमें गड़बड़ियां ज्यादा मिलेंगी।
पूनम पुरोहित
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