मंथन न्यूज़ भोपाल –रक्षा और विदेश नीति जैसे मसलों पर भी सरकार को घेरने में जरा भी देर नहीं करने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह अब सदन में सरकार से सवाल करने में ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे। सवाल लगाने को लेकर दिलचस्प पहलू ये भी है कि चालू बजट सत्र में उनकी ओर से कोई सवाल नहीं किया गया।
वहीं यूपीए के कार्यकाल (वर्ष 2014) में जहां दिग्विजय सिंह ने 31 सवाल लगाए थे, वहीं एनडीए के सत्ता में आने के दो साल बाद भी यह संख्या कभी 30 सवालों तक नहीं पहुंची। मालूम हो कि मप्र से राज्यसभा में नौ सांसद हैं। इनमें तीन कांग्रेस से, तो शेष बीजेपी के सांसद हैं। प्रदेश से राज्यसभा के चार सांसद केंद्र में मंत्री हैं। इनमें अनिल माधव दवे, एमजे अकबर, थावर चंद गेहलोत और प्रकाश जावड़ेकर शामिल हैं।
सत्यव्रत ने छह साल पहले पूछा था सवाल
लोकसभा की तरह ही राज्यसभा सांसद भी सवाल लगाने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। कांग्रेस से राज्यसभा सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी ने तो छह साल पहले वर्ष 2011 के बाद से कोई सवाल लगाया ही नहीं। इधर पहली बार राज्यसभा पहुंचे सासंदों में एलए गणेशन ने भी अब तक कोई सवाल नहीं लगाया, जबकि विवेक तनखा मौजूदा सत्र के साथ शीतकालीन सत्र में कुल 19 सवाल लगा चुके हैं।
सबसे ज्यादा सवाल झा के
राज्यसभा सांसद प्रभात झा सबसे ज्यादा सवाल लगाने वाले सांसद हैं। वर्ष 2016 और 2015 में जहां झा ने 139 सवाल लगाए, तो वहीं मौजूदा सत्र में भी उनके 14 सवाल लगे हैं। इसके बाद नंबर आता है बीजेपी सांसद डॉ.सत्यनारायण जटिया का। वर्ष 2015 में जटिया ने 92 सवाल लगाए, जबकि मौजूदा सत्र में उनके तीन सवाल लगे हैं। मंत्री बनाने से पहले ज्यादा सवाल लगाने वाले सांसदों में अनिल माधव दवे का नाम भी है।
पूनम पुरोहित
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