
भारतीय वायुसेना में पूंजीगत अधिग्रहण के बारे में संसद में रखी गई यह रिपोर्ट दो भागों में है। पहले भाग में इस बात का विश्लेषण किया गया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय शुरू की गई खरीद प्रक्रिया में अंतिम समझौता क्यों नहीं हो सका। दूसरे भाग में मौजूदा सौदे की प्रक्रिया तथा अन्य बातों का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुराने प्रस्तावित सौदे की तुलना में नये सौदे में 2.86 प्रतिशत की बचत हुई है। इसमें हालांकि, विमान की कीमत नहीं बताई गई है। कैग के अनुसार, पुराने सौदे के परवान नहीं चढ़ने के दो कारण रहे। पहला यह कि यह काफी बड़ा ऑर्डर था और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी होना था, इसलिए इसमें ज्यादा श्रमबल की जरूरत थी। दूसरा कारण बताया गया है कि पुराने सौदे में जो 108 विमान भारत में बनने थे उसके लिए राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दासो एविएशन ‘प्रदर्शन की गारंटी’ देने के लिए तैयार नहीं था।
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