फिजूलखर्ची रोकने के लिए सरकार ने नई व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया है। अब मंत्री, विधायक और अफसर अपने पास नहीं रख सकेंगे एक से अधिक वाहन….
कर्ज में डूबे प्रदेश का बजट तैयार करने में सरकार को खासी माथापच्ची करनी पड़ रही है। विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव या फिर सचिव हों सभी को एक गाड़ी की पात्रता है, लेकिन ये अपने अधीनस्थ निगम-मंडलों, विभागाध्यक्ष कार्यालयों आदि से भी वाहन ले लेते थे। एक से अधिक विभाग के प्रभार वाले अफसर सभी विभागों के वाहनों का सुख भोगता था।
रकम दबाए रहे विभागों को अतिरिक्त बजट नहीं
वित्त विभाग अब ऐसे महकमों को अतिरिक्त बजट देने के पक्ष में नहीं, जिन्होंने रकम ली और उसे खर्च नहीं किया। वित्त विभाग का मानना है कि इन विभागों को खर्च की क्षमता नहीं है, इसलिए अन्य जरूरतमंद महकमों को पैसा दिया जाएगा। किसानों को कर्जमाफी सहित अन्य जरूरी कार्यों के लिए राशि जुटाने का टेंशन सरकार को है।
एक अफसर-एक गाड़ी की व्यवस्था के निर्देश दिए हैं। यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू करने को कहा गया है। जिनके पास एक से अधिक वाहन हैं, उन्हें यह वाहन लौटाना होंगे। यह वित्तीय नियंत्रण के तहत उठाया गया कदम है। – तरण भनोट, वित्त मंत्री