नई दिल्ली। गरीबों के लिए हर महीने तय आमदनी पक्का करने लिए सरकार बजट में यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम का ऐलान कर सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस स्कीम के साथ कई शर्तें जोड़ी जा सकती हैं। यह स्कीम अरविंद सुब्रमण्यन के सुझाव से अलग होगी।
आर्थिक सर्वे 2016-17 में ऐसी स्कीम की सिफारिश की गई थी। इस स्कीम में सबकी जगह केवल गरीबों को शामिल किया जा सकता है। इसका आधार चल-अचल संपत्ति, आमदनी और पेशे को बनाया जा सकता है।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सरकार स्कीम के साथ सबसिडी खत्म करने का कदम नहीं उठाना चाहती। सबसिडी खत्म करने में राजनीतिक नुकसान की आशंका है। फिलहाल फूड सबसिडी के तौर पर सालाना 1,69,323 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। इसके अलावा मनरेगा पर सालाना 55 हजार करोड़ रुपए का खर्च बैठता है।
सूत्रों के मुताबिक यदि स्कीम सफल रही तो सबसिडी किस्तों में खत्म की जा सकती है। इस स्कीम को पूरे देश में एक साथ लागू करने के बजाय चरणबद्घ तरीके से लागू किया जा सकता है। शुरुआत में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुनिंदा जिलों में लागू किया जा सकता है।1.5 लाख करोड़ खर्च की संभावनाइंडिया रेटिंग को भी लगता है कि सरकार अंतरिम बजट में इनकम सपोर्ट स्कीम का एलान करेगी। इसका अर्थ है गरीबों को एक सुनिश्चित रकम उनके बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी।
इस स्कीम पर करीब 1.5 लाख करोड़ रुपए का खर्च आ सकता है। यह खर्च केंद्र और राज्य सरकारें, दोनों के बीच बंटेगा। एजेंसी के मुताबिक यह स्कीम किसी भी कर्जमाफी से बेहतर है।एक दिन पहले ही एक रैली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ऐलान किया था कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वे इनकम सपोर्ट स्कीम लागू करेंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्जमाफी की जगह केंद्र की इनकम सपोर्ट स्कीम ज्यादा बेहतर विकल्प है। यह स्कीम तेलंगाना की रितु बंधु योजना जैसी हो सकती है।एक संभावित फॉर्मूलाइंडिया रेटिंग्स के मुताबिक यदि वित्त वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट में 8 हजार रुपए प्रति एकड़ सालाना इनकम सपोर्ट दिया जाता है तो छोटे किसानों को सालाना 27,942 रुपए मिल सकते हैं।