Breaking News

डेढ़ लाख वेतन-भत्ता वाले विधायकों को तीन रुपए रोज पर मकान

डेढ़ लाख वेतन-भत्ता वाले विधायकों को तीन रुपए रोज पर मकान

62 साल से नहीं बढ़ा किराया: पहले वेतन 200 और 10 रुपए था भत्ता

 

विधायकों को सुविधाएं
30 हजार रुपए मासिक वेतन
35 हजार रुपए निर्वाचन क्षेत्र भत्ता
10 हजार रुपए टेलीफोन भत्ता
10 हजार रुपए लेखन सामग्री एवं डाक भत्ता
15 हजार रुपए अर्दली और कम्प्यूटर ऑपरेटर भत्ता 
(हवाई और रेल सुविधा देशभर में नि:शुल्क।)

डॉ. दीपेश अवस्थी, भोपाल. सरकार के खजाने की माली हालत भले ही खराब हो, लेकिन माननीयों पर मेहरबानी में कोई कमी नहीं है। विधायकों का वेतन-भत्ता 62 साल में बढ़कर डेढ़ लाख रुपए हो गया, लेकिन उनके आवास का किराया जस का तस है। विधायकों को डेढ़ और तीन रुपए रोजाना तक पर आवास दिए जा रहे हैं। वे आए दिन वेतन-भत्ता बढ़ाने की मांग करते हैं, लेकिन इन सुसज्जित आवासों के किराए पर बात नहीं करते। इससे सरकार के खजाने पर लगातार बोझ बढ़ा।
1956 में मध्यप्रदेश गठन के बाद विधानसभा भवन तैयार हुआ तो विधायकों के लिए आवास भी बनाए गए। कई खण्डों में बने विधायक विश्रामगृह में एक कमरे और किचन की सुविधा वाले आवास बनाए गए। विधायक सत्र के दौरान यहां रुकते थे और आम दिनों में क्षेत्र में ही रहते थे। उस दौरान एक बेडरूम का किराया डेढ़ रुपए प्रतिदिन था। समय के साथ विधायकों की मांग बढ़ी और उनका परिवार यहां निवास करने लगा तो पारिवारिक खण्ड का निर्माण हुआ। टू-बीएचके वाले इन मकानों का किराया तीन रुपए रोज यानी 90 रुपए मासिक निर्धारित किया गया, जो आज तक यथावत है। विधायकों को यह आवास पूरे कार्यकाल के लिए दिया जाता है। इनमें बिजली, पानी सहित अन्य सुविधाएं नि:शुल्क मिलती हैं। यह किराया सिर्फ विधानसभा सचिवालय द्वारा उपलब्ध कराए गए मकानों के लिए है, यदि प्रदेश सरकार उन्हें आवास आवंटित करती है तो उन्हें उसकी ओर से निर्धारित किराया देना होता है। यह किराया विधानसभा सचिवालय से तय किराए से अधिक है।
– 1950 में मिलते थे मात्र 100 रुपए
विधायकों को 1950 में 100 रुपए वेतन मिलता था। 1956 में मध्यप्रदेश का गठन हुआ और 1957 में वेतन बढ़कर 200 रुपए हुआ। उस दौरान राजनीति जनसेवा के तौर पर थी। लाभ-शुभ की बात नहीं होती थी। डीपी मिश्रा के मुख्यमंत्रित्व काल में 1963 में विधायकों का वेतन बढ़कर 500 रुपए हुआ था। हालांकि, उस दौरान सदन में हुई चर्चा में कई सदस्यों ने तर्क दिया था कि हम तो जनप्रतिनिधि हैं, जनसेवा करते हैं फिर वेतन किस बात का। कई सदस्यों ने वेतन बढ़ाए जाने की मांग खारिज कर दी थी।
– पारिवारिक आवासों की कमी
विधायक विश्राम गृह में विधायकों के लिए आवास पर्याप्त हैं, लेकिन पारिवारिक आवास की कमी है। पूर्व में यहां विश्राम गृह था। विधायक इनमें सत्र के दौरान रहते थे। अब वे यहां परिवार सहित रहते हैं। ऐसे में पारिवारिक आवासों की कमी है। करीब 100 आवासों की जरूरत बढ़ी है। सुसज्जित आवास का निर्माण प्रस्तावित है।
– सरकार भी उपलब्ध कराती है बंगले
विधायकों के लिए प्रदेश सरकार और विधानसभा अध्यक्ष कोटे से बंगले मिलते हैं, लेकिन यह सुविधा उन्हीं को मिलती है जो विधानसभा परिसर स्थित मकान में नहीं रहना चाहते। ऐसे विधायकों को आलीशान सर्वसुविधा युक्त बंगले मिलते हैं, लेकिन इनका किराया विधायक विश्रामगृह के आवास से अधिक है। यहां सरकार के संपदा विभाग द्वारा निर्धारित दर पर किराया लिया जाता है। समय-समय पर यहां का किराया रिव्यू होता है।
हां, विधायकों के आवासों का किराया बहुत कम है। किराया विधानसभा की सदस्य सुविधा समिति तय करती है। कई वर्षों से इनका किराया रिव्यू नहीं हुआ है। रिव्यू होना प्रस्तावित है।
– एपी सिंह, पीएस, विधानसभा

Check Also

गुना संसदीय क्षेत्र की जनता के लिये प्रतिदिन, गुना से शिवपुरी होते हुए ग्वालियर तक रेलगाडी चलाने को लेकर की मांग*

🔊 Listen to this *गुना संसदीय क्षेत्र की जनता के लिये प्रतिदिन, गुना से शिवपुरी …