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मोदी के मास्टर स्ट्रोक में फंसा विपक्ष, लोकसभा में ऐसे मिलेगा सवर्णों का साथ; 2014 में मिलीं थी एमपी में 27 सीटें

भोपाल. एट्रोसिटी एक्ट में फंसी केन्द्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले सामान्य श्रेणी के आर्थिक पिछड़े लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने का बड़ा फैसला किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह फैसला भी नोटबंदी की तरह अचानक देश के सामने आया। लोकसभा सत्र के अंतिम दिन इस पर चर्चा हुई और इस बिल को पास करने के लिए राज्यसभा का सत्र एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया। अब बिल दोनों ही सदनों में पास हो गया। राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद यह कानून बन जाएगा। विपक्षी दल इसे मोदी का चुनावी जुमला बता रहें है। इस रिपोर्ट में देखिए इस बिल के कारण मध्यप्रदेश में भाजपा को क्या फायदा होगा और क्या नुकसान।

मध्यप्रदेश में 15 साल बाद हार का सामना करने के बाद अब आरक्षण के सहारे बीजेपी लोकसभा की नैया पार करना चाहती है। मध्यप्रदेश में हार का एक बड़ा कारण सर्वणों की नाराजगी को माना जा रहा है। सवर्णों की नाराजगी का सबसे ज्यादा असर भाजपा को ग्वालियर चंबल में देखने को मिला। यहां 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सिर्फ 7 सीटें मिली जबकि 2013 में बीजेपी को यहां से 20 सीटें मिली थीं। मध्यप्रदेश में भाजपा इस बिल के सहारे अब ग्वालियर-चंबल, महाकौशल, बुंदेलखंड और मालवा को साधने की कोशिश करेगी क्योंकि विधानसभा चुनावों में भाजपा को यहां सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।

 

विधानसभा में सवर्णों की नाराजगी से हार
मध्यप्रदेश में भाजपा की हार का कारण सवर्णों की नाराजगी को माना जा रहा है। नाराज सवर्णों ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस की बजाए नोटा में वोट किया। मध्‍यप्रदेश में भाजपा को कुल 41.3 फीसदी और कांग्रेस को 41.4 फीसदी वोट मिला है। जबकि नोटा के खाते में लगभग 1.5 फीसदी वोट गए। कुल 4,56,151 मतदाताओं ने नोटा के पक्ष में वोट दिया है। वहीं, मध्यप्रदेश में कई ऐसी सीटें थी जहां भाजपा की हार हुई है पर वहां भाजपा की हार के अंतर से ज्यादा वोट नोटा को मिले हैं।

क्रमांक विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस की जीत का अंतर नोटा को मिले वोट 1 बियाओरा 826 1481 2 दमोह 798 1299 3 ग्वालियर (दक्षिण) 121 1550 4 जबलपुर (उत्तर) 578 1209 5 गन्नौर 1984 3734 6 जोबाट 2056 5139 7 नेपानगर 1264 1575 8 मंधता 1236 1575 9 राजनगर 732 2484

लोकसभा में क्या फायदा
मध्यप्रदेश में विधानसभा की 29 लोकसभा सीटें हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को 27 सीटों पर जीत मिली थी जबकि कांग्रेस को केवल दो सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस के खाते में केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ को जीत मिली थी बाकि कोई भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका था। मध्यप्रदेश में 19 सीटें सामान्य वर्ग के लिए आरक्षितमध्यप्रदेश में कुल 29 लोकसभा सीटें हैं। इन 29 लाकसभा सीटों में 19 आनारक्षित, अनुसूचित जाति 4 और 6 सीटें अनुसूचित जन जाति के लिए आरक्षित हैं। मध्यप्रदेश की 14 लोकसभा सीटों पर सवर्ण वोटर ही हार-जीत तय करते हैं। कहा जाता है कि इन 14 सीटों पर सवर्ण जिस पार्टी की तरफ वोट करते हैं जीत उसी की होती है।

मध्यप्रदेश में वोटरों का जातिगत समीकरण

वर्ग आबादी सवर्ण 15 फीसदी ओबीसी 37 फीसदी एससी 16 फीसदी एसटी 23 फीसदी अन्य 09 फीसदी

अब इसे क्षेत्रवार समझिए

क्षेत्र सवर्ण ओबीसी एससी एसटी अन्य मालवा निमाड 11 फीसदी 12 फीसदी 20 फीसदी 38 फीसदी 19 फीसदी मध्य 24 फीसदी 17 फीसदी 19 फीसदी 15 फीसदी 25 फीसदी ग्वालियर चंबल 28 फीसदी 32 फीसदी 21 फीसदी 08 फीसदी 11 फीसदी विंध्य 29 फीसदी 14 फीसदी 12 फीसदी 21 फीसदी 24 फीसदी बुंदेलखंड 18 फीसदी 26 फीसदी 20 फीसदी 12 फीसदी 24 फीसदी महाकौशल 22 फीसदी 18 फीसदी 09 फीसदी 31 फीसदी 20 फीसदी

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