भोपाल। व्यापमं घोटाले के कारण मध्य प्रदेश पुलिस में दो साल से भर्ती नहीं हो पा रही है। 2018 में तत्कालीन शिवराज सरकार ने पुलिस भर्ती को लेकर कोई विचार नहीं किया तो वहीं सत्ता में आने के बाद कांग्रेस द्वारा व्यापमं से भर्ती परीक्षा नहीं कराने का फैसला लेने के कारण 2019 में भर्ती प्रक्रिया फिर अधर में है। हालांकि कांग्रेस ने मंत्रिमंडलीय उप समिति बनाकर भर्ती परीक्षा की एजेंसी तय करने का फैसला किया था, जिसमें आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
मध्य प्रदेश पुलिस में 93 हजार से ज्यादा पुलिस बल व 26 हजार से ज्यादा एसएएफ के जवान हैं। इस तरह प्रदेश में करीब 1 लाख 20 हजार पुलिसकर्मी हैं, जिनमें से सैकड़ों जवान व पुलिस अधिकारी हर साल सेवानिवृत्त भी होते हैं। शिवराज सरकार ने हर साल पांच-पांच हजार जवानों की भर्ती का लक्ष्य रखा था, लेकिन चुनावी वर्ष 2018 में तत्कालीन सरकार ने पुलिस भर्ती को लेकर विचार ही नहीं किया, इसलिए कोई भर्ती नहीं हो पाई।
कांग्रेस ने सरकार में आते ही प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड (पहले व्यावसायिक परीक्षा मंडल) के माध्यम से भर्ती परीक्षा का आयोजन स्थगित कर दिया और मंत्रिमंडलीय उपसमिति बनाकर भर्ती परीक्षा की प्रक्रिया तय करने का फैसला लिया था। इस कारण 2019 में अब तक पुलिस भर्ती का कोई फैसला नहीं हो सका है। मालूम हो कि पुलिस के आरक्षक और उप निरीक्षकों की भर्ती परीक्षा के लिए 2017 में अंतिम विज्ञापन जारी किया गया था, जिसका परिणाम 2018 में आया था।
2020 में रिक्त पदों का आंकड़ा और बढ़ेगा
प्रदेश में पदोन्न्ति प्रक्रिया थमी होने से अन्य शासकीय कर्मचारियों की तरह पुलिस में भी सिपाही से लेकर डीएसपी तक की पदोन्न्ति रुकी है। वहीं, राज्य सरकार ने सेवानिवृत्ति की आयु सीमा दो साल बढ़ा दी थी, जिससे मार्च 2020 के बाद पुलिसकर्मियों के सेवानिवृत्त होने का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा। तब रिक्त पदों की संख्या महीने दर महीने बढ़ेगी। सूत्रों के मुताबिक, अभी पुलिस में करीब 80 उप निरीक्षकों तथा लगभग 3000 आरक्षक की जरूरत है। भर्ती परीक्षा तय नहीं होने की स्थिति में यह आंकड़ा मार्च 2020 के बाद और बढ़ेगा।
सरकार के फैसले के बाद होगी भर्ती परीक्षा
पुलिस उप निरीक्षक और आरक्षक भर्ती परीक्षा को लेकर सरकार की मंत्रिमंडलीय उप समिति का फैसला आने के बाद ही प्रक्रिया शुरू होगी।
– केएन तिवारी, विशेष महानिदेशक पुलिस, चयन व भर्ती