Breaking News

मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ाने में लगातार जुटे हैं सिंधिया

मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ाने में लगातार जुटे हैं सिंधिया

सबसे बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस के लिए अब बचे-खुचे राज्यों में भी सरकार चलाना बड़ा मुश्किल हो रहा है. लेकिन दिलचस्प बात तो ये है कि कांग्रेस के बुरे वक्त का जिम्मेदार पार्टी के अंदर नेताओं की आंतरिक कलह है जो उसे अंदर से खोखला कर रही है. मध्य प्रदेश में सिंधिया और कमलनाथ के झगड़े को देखकर लगता है कि कर्नाटक की तरह यहां भी कांग्रेस की सरकार कभी भी संकट में घिर सकती है.

भोपाल: मध्यप्रदेश की राजनीति में सिंधिया अपनी चतुर चालों से आए दिन कमलनाथ सरकार के नाक में दम करते नजर आ रहे हैं. जनहित के नाम पर वह लगातार चिट्ठी लिखकर मुख्यमंत्री कमलनाथ को असहज कर रहे हैं. कभी सरकार को जनहित से जुड़े मामलों में खत लिख कर तो कभी सरकारी सुविधाएं लोगों तक नहीं पहुंचाए जाने पर आलोचना कर के. अभी हाल ही में सिंधिया ने सीएम कमलनाथ को अपना चौथा खत लिखा.

सिंधिया की चिट्ठियों का जवाब नहीं देते सीएम कमलनाथ
ये खत सिंधिया ने मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल भाग के दौरे पर भिंड में बच्चों को बेहतर प्राइमरी शिक्षा के लिए एक सैनिक स्कूल खोलने की अर्जी डाली. इसके साथ ही चिकित्सा कॉलेज की स्थापना के लिए भी दो अलग-अलग पत्र लिखे. सिंधिया का पत्र प्रेम हाल के दिनों में कुछ ज्यादा ही बढ़ चुका है. इससे पहले वे दो मौकौं पर कमलनाथ सरकार को पत्र लिख चुके हैं. हालांकि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कभी इसका जवाब देना जरुरी नहीं समझा. जिससे समझ में आता है कि कांग्रेस में सिंधिया की साख लगातार कम होती जा रही है.

सिंधिया पहले भी गिरा चुके हैं चिट्ठी बम
1. इससे पहले भी 14 अक्टूबर को सिंधिया ने शिवपुरी जिले में खुले में शौच करने के लिए दो दलित बच्चों की पीट-पीट कर हत्या कर देने के मद्देनजर भी कमलनाथ को पत्र लिखा था जिसमें सिंधिया ने पीड़ित परिवार को 10-10 बीघा जमीन देने के साथ-साथ 50-50 लाख रूपए की आर्थिक राशि देने की बात कही.
2. इसके अलावा 15 अक्टूबर को सिंधिया ने एक और पत्र लिखा जिसमें मध्यप्रदेश के करैरा में किसानों की फसलें प्राकृतिक आपदा की वजह से बर्बाद होने के लिए, जिला पंचायत के रूके हुए विकास कार्यों में तेजी लाने के लिए भी एक पत्र लिखा. इस खत में शिवपुरी जिले के विधायकों और पार्टी कार्यकर्ताओं के समस्या को भी सिरे से उठाया.

कांग्रेस में सिकुड़ता जा रहा है सिंधिया का दायरा
हाल के दिनों में कांग्रेस के अंदर सिंधिया की छवि काफी धूमिल हो गई है. इसका एक बड़ा कारण कुछ राजनीतिक पंडितों के अनुसार कांग्रेस के अंदर राहुल गांधी के समानांतर किसी भी युवानेता के छवि को खड़ा होने देने से बचाना भी है. दरअसल कांग्रेस के अंदर एक तर्क इसबात पर भी चल रहा है कि पार्टी का नेतृत्व गांधी परिवार के अलावा किसी गैर-गांधी पृष्ठभूमि से आने वाले व्यक्ति को दी जाए. एक समय में सिंधिया उस लाइन के नेताओं में रखे जाने भी लगे थे. लेकिन कांग्रेस आलाकमान इस बात को जल्द ही भांप गई. 2019 के लोकसभा चुनाव में गुणे से चुनाव हार जाने के बाद सिंधिया की कद-काठी को और भी कम कर दिया गया है, जिसे सुधारने का प्रयास वो लगातार कर रहे हैं.+

अपनी उपेक्षा से नाराज सिंधिया ने खोल दिया मोर्चा
दरअसल, मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस के जनाधार पा लेने के बाद से ये कयास लगाया जा रहा था कि कांग्रेस युवा नेतृत्व को कमान सौंपेगी और शायद इस बार राजस्थान में सचिन पायलट और मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. लेकिन हुआ ठीक विपरीत. राजस्थान में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बाद दूसरे नंबर का दर्जा दिया गया तो मध्यप्रदेश में सिंधिया को वो दर्जा देने लायक भी नहीं समझा गया. राजीव गांधी के समय से कांग्रेस के वफादार रहे कमलनाथ को मध्यप्रदेश का मुखिया बना दिया गया जिसके बाद से ही सिंधिया का कांग्रेस से मोहभंग हो गया. अब स्थितियां कुछ यूं बदली हैं कि सिंधिया कई मुद्दों पर अपनी ही सरकार की खिंचाई करने लग गए हैं. मध्यप्रदेश के अंदर सरकार का उतना विरोध तो विपक्ष में बैठी भाजपा तक नहीं कर रही, जितनी आलोचना खुद के सरकार की सिंधिया करते जा रहे हैं.

Check Also

एक फैसले ने बदली MP की राजनीति, CM बनते-बनते रह गए थे ज्योतिरादित्य सिंधिया

🔊 Listen to this एक फैसले ने बदली MP की राजनीति, CM बनते-बनते रह गए …