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कवि दिव्या भागवानी द्वारा लिखी काश पक्षी भी बोल सकते कविता एक बार जरूर पढे़

काश पक्षी भी बोल सकते …. ….
बच्चों की तरह घर में पलते
दे दो पाई चीज खानी है
वह भी तो जिद करते
काश पक्षी भी बोल सकते…..
अपनी आजादी की लड़ाई लड़ते
क़फ़स में न रहते
फ़क़त आजाद उड़ते रहते
काश पक्षी भी बोल सकते ……
आसमां की सैर कर अपने घर आते
खानी है दाल रोटी वह भी खूब शोर मचाते
काश पक्षी भी बोल सकते ……
क्या क्या हुआ आज आसमां में
बातें आसमानी बताते
क्या बोली चिड़ियों की रानी
कौन करता है मनमानी
रब का संदेशा भी लाते
काश पक्षी भी बोल सकते…….
दिव्या भागवानी

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