कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि यदि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पारित हो गया है तो कोई भी राज्य इसे लागू करने से मना नहीं कर सकता है. सीएए को लागू करने से मना करना मुमकिन नहीं और इसे लागू करने से इनकार करना असंवैधानिक होगा. सिब्बल ने इसके साथ ही केरल के राज्यपाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. सिब्बल ने कहा कि केरल के राज्यपाल को संविधान के बारे में कोई आइडिया नहीं है. उन्होंने शनिवार को यह बात केरल लिटरेचर फेस्टिवल में कही है.
‘संसद से पास हुआ है CAA, राज्य लागू करने से नहीं कर सकते इनकार’
सीएए को लागू करने से मना करना असंवैधानिकयह कानून संसद से पारित हुआ है-कपिल सिब्बल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि यदि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पारित हो गया है तो कोई भी राज्य इसे लागू करने से मना नहीं कर सकता है. सीएए को लागू करने से मना करना मुमकिन नहीं और इसे लागू करने से इनकार करना असंवैधानिक होगा. सिब्बल ने इसके साथ ही केरल के राज्यपाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. सिब्बल ने कहा कि केरल के राज्यपाल को संविधान के बारे में कोई आइडिया नहीं है. उन्होंने शनिवार को यह बात केरल लिटरेचर फेस्टिवल में कही है.
कपिल सिब्बल ने कहा, अगर सीएए पास है तो कोई भी राज्य ये नहीं कह सकता कि हम इसे लागू नहीं करेंगे. ये संभव नहीं है. ये असंवैधानिक है. आप इसका विरोध कर सकते हैं. आप विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और सरकार से कह सकते हैं कि इसे वापस लिया जाए.
केरल और पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पारित
कपिल सिब्बल ने यह बात ऐसे समय कही है जब केरल और पंजाब सरकार ने CAA को राज्य में लागू करने से इनकार किया है. केरल सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने के राज्य में सीएए को लागू नहीं करने की बात कही है. वहीं पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार ने शुक्रवार को सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव पास किया था. इसमें उन्होंने कहा था कि इस कानून से राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के छिन्न-भिन्न होने का खतरा बढ़ गया है. ऐसे में सरकार नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के संबंध में सदन की इच्छा से आगे बढ़ेगी.
कैप्टन अमरिंदर सरकार की ओर से पेश प्रस्ताव में कहा गया कि CAA का प्रारूप देश के संविधान और इसकी मूल भावना के खिलाफ है. यह देश के कुछ धर्म विशेष के लोगों की पहचान को खत्म करने की कोशिश है. इस एक्ट के जरिए प्रवासी लोगों को बांटने की सोच है और ये समानता के अधिकार के खिलाफ है.
इससे पहले दिसंबर 2018 में, केरल विधानसभा ने हाल ही में विवादास्पद कानून को खत्म करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था, ऐसा करने वाला केरल देश का पहला राज्य था. इसने केंद्र से देशव्यापी विरोध शुरू करने वाले विवादास्पद कानून को रद्द करने के लिए कहा.
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