मै साहिल पर लिखी हुई इबादत नहीं ,
जो लहरों से मिट जाऊं,,
मै बारिश की बरसती बूंदे नहीं जो,
बरस के थम जाऊं ,,
मै कोई ख़्वाब नहीं जिसे देख के भुला दिया जाय,,
मै हवा का झोंका नहीं जो आऊं और गुजर जाऊं,,
मै चांद नहीं जो रात के बाद ढल जाऊं,,
मै तो वो एहसास हूं ,जो तुझमें लहू बन कर गर्दिश करे,
मै वो रंग हूं जो तेरे दिल पे चड़ा रहे ,कभी ना उतरे,
मेरे मिटाने का सवाल ही नहीं ,क्यों की में मुहब्बत का हल बन जाऊं,,
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