14 जुलाई से उनकी यह यात्रा शुरू हो चुकी है और शिवराज सुबह 10 बजे भोपाल से सीएम हाउस से निकलकर स्टेट हैंगर पर पहुंच रहे हैं. पहले स्टेट प्लेन, फिर हेलिकॉप्टर और फिर बसनुमा रथ में सवार होकर रोड शो करते हुए जनता में पहुंच रहे हैं.
एक राजनीतिक विश्लेषक दिलचस्प टिप्पणी करते हैं कि ‘अगर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को महसूस हो जाए कि वे युवाओं के वोट हासिल करने में कमजोर साबित हो रहे हैं तो वे ऐसी स्कीम भी ला सकते हैं कि शादी कीजिए हनीमून सरकार करवाएगी.’ प्रसूति से लेकर अंत्येष्ठी तक सैकड़ों वेलफेयर स्कीम चलाने वाले शिवराजसिंह चौहान का मध्यप्रदेश में आज की तारीख में कोई मुकाबला नहीं है. तो इसकी एक खास वजह है- शिवराज का पॉलिटिकल मॉडल. वे न सिर्फ स्कीम मास्टर हैं, बल्कि कोई भी समस्या खड़ी हो वे तत्काल उसकी भरपाई के लिए एक स्कीम खड़ी कर देते हैं. जिसका फल यह है कि इन 15 सालोंं में उन्होंने अपने वोटर नहीं बल्कि बेनिफिशरिस (लाभार्थी) खड़े कर दिए हैं.पहली बार जितनी ताकत झोंक रहे हैं
अब चौथी बार शिवराज सिंह जनता से वोट मांगने जन आशीर्वाद यात्रा पर निकल पड़े हैं. एक लो फ्लोर बस को रथ बनाकर मध्यप्रदेश के ग्रामीण ट्राइबल इलाकों को टारगेट कर रहे हैं. वे जानते हैं कि भाजपा यहीं कमजोर हो सकती है. कांग्रेस की नजर इन्हीं सीटों पर है. आदिवासी, किसान और ग्रामीण इलाका कांग्रेस की वापसी का रास्ता बन सकता है. वे तीन बार के मुख्यमंत्री हैं लेकिन अपने इस अभियान में इतनी ताकत झोंक रहे हैं जैसे पहली बार कोई नेता वोट मांगने के लिए जनता के बीच हो.रोजना 14 से 16 घंटे सड़क पर
14 जुलाई से उनकी यह यात्रा शुरू हो चुकी है और शिवराज सुबह 10 बजे भोपाल से सीएम हाउस से निकलकर स्टेट हैंगर पर पहुंच रहे हैं. पहले स्टेट प्लेन, फिर हेलिकॉप्टर और फिर बसनुमा रथ में सवार होकर रोड शो करते हुए जनता में पहुंच रहे हैं. रोजाना लगभग दो सौ से ढाई सौ किमी का यह बस रूट तय करने में उन्हें 14 घंटे तक लग रहे हैं, लेकिन उत्साह की कोई कमी या थकान का कोई नामोनिशान उनके आसपास नहीं है. उन्हें अपने रथ से 10 हजार किमी. का फासला तय करना है.
गरीब का दर्द जानता हूं
रथयात्रा पर हुई विशेष बातचीत में वे उत्साह के साथ कहते हैं कि यह परिश्रम उनसे ईश्वर ही करवा रहा है. खुद को जनता का सेवक और जनता का मामा बताते हुए वे कहते हैं, ‘उन्होंने गरीबी को करीब से देखा है. इसलिए वे जनता की तकलीफ को जानकर योजना तैयार करते हैं. मजदूर बहनों को प्रसूति लाभ उन्होंने इसलिए शुरू किया ताकि वे दो दिन बाद ही काम पर लौटने की जल्दी न करें.’ देश भर के किसानों के लिए मॉडल बनीं भावांतर योजना को लेकर वे कहते हैं, ‘उन्हें पता था कि बाजार में उसके साथ मुनाफाखोर क्या कर रहे हैं. हमने धान के अंतर का पैसा सीधे किसान के खाते में जमा करवाया है.’जनता के आगे कोई नफा नुकसान नहीं
बिजली माफी की योजना को जनता के लिए सबसे बड़ी राहत बताते हुए वे कहते हैं कि मेरे प्रदेश वासी बिजली के बिलों से तकलीफ में थे. हमने तय किया और जरूरत की बिजली का अनुमान लगाकर दो सौ रुपये बिल हर गरीब परिवार के लिए कर दिया. क्या यह चुनावी मास्टर स्ट्रोक है? वे कहते हैं ऐसा राजनीतिक लोग कहते होंगे लेकिन मेरे लिए तो जनता की परेशानी है और मैं इसमे न तो राजनीतिक नफा देखता हूं न खजाने का नुकसान.टेक्नॉलॉजी से बदले चुनाव का नजारा
रथ यात्रा अलीराजपुर से जोबट और वहां से थांदला की ओर जा रही है. पूरा आदिवासी इलाका है. लेकिन सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर पर हुए काम ने इस इलाके को जैसे छोटे शहरों में तब्दील कर दिया है. डिजिटल टेक्नॉलॉजी इस चुनाव में क्या असर दिखाएगी इसका नजारा भी यहां देखने को मिल रहा है.इस बार पोस्टर में पीएम मोदी भी
शिवराज मामा का रोड शो देखने सुनने आई भीड़ के आदिवासी युवा, मोबाइल से वीडियो बना रहे हैं. मोटर साइकिल पर रथ के पीछे दौड़ रहे हैं. पूरा इलाका भाजपा और शिवराजमय है और इस बार सबसे खास बात यानि शिवराज के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैं. 2013 के चुनाव में शिवराज अकेले भाजपा के नायक थे. लेकिन अब जगह-जगह पोस्टर बैनर होर्डिंग्स में पीएम मोदी भी शिवराज के साथ नजर आ रहे हैं.
रोजना दो करोड़ खर्च
कांग्रेस का आरोप है कि शिवराज सरकार इस यात्रा पर रोज दो करोड़ खर्च कर रही है और प्रायोजित भीड़ इकट्ठी कर सरकारी खजाने को चूना लगी रही है. लेकिन शिवराज का रथ निर्बाध अपनी गति से चल रहा है. कांग्रेस अभी चुनाव का फ्लोर मैनेजमेंट करने में जुटी है. उसकी बरसों से बंद गाड़ी को चलाने लायक बनाया जा रहा है. वहीं शिवराज ने किसी का भी इंतजार किए बगैर अपनी चालू गाड़ी को मैदान में लाकर दौड़ाना शुरू कर दिया है.वे जानते हैं कि सहजता ही उनकी ताकत है और इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस से ज्यादा अपनी पार्टी वर्कर से है. जो जनता से ज्यादा अपेक्षाओं से भरा हुआ है. उसकी नाराजगी चौथी बार सरकार बनाने के लिए भारी पड़ सकती है. इसलिए यह जन आर्शीवाद यात्रा जनता के लिए कम पार्टी वर्कर के लिए ज्यादा है. जो सड़कों पर माहौल बनाने सक्रिय होने निकल पड़ा है.रहा सवाल यात्रा की सभाओं में उमड़ रही ठेठ गांव से आ रही आदिवासी भीड़ का तो उनकी आंखों की चमक और चेहरे की मासूमियत बयां करती है कि उन्हें पता है कि हर चुनाव का यहीं दस्तूर है. शिवराज मंच से क्या घोषणाएं कर रहे हैं क्या कह रहे हैं? यह उन्हें खास समझ नहीं आ रहा लेकिन उन्हें पता है कि
‘चुनाव आवि गया है…’ और अब तो ‘ऐसो ही कई बार आनो पड़ेगो…”तो वोट किसे देगा.. शिवराज मामा को ? हां जो को म्हारा ठाकर बोल दे…’
एक राजनीतिक विश्लेषक दिलचस्प टिप्पणी करते हैं कि ‘अगर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को महसूस हो जाए कि वे युवाओं के वोट हासिल करने में कमजोर साबित हो रहे हैं तो वे ऐसी स्कीम भी ला सकते हैं कि शादी कीजिए हनीमून सरकार करवाएगी.’ प्रसूति से लेकर अंत्येष्ठी तक सैकड़ों वेलफेयर स्कीम चलाने वाले शिवराजसिंह चौहान का मध्यप्रदेश में आज की तारीख में कोई मुकाबला नहीं है. तो इसकी एक खास वजह है- शिवराज का पॉलिटिकल मॉडल. वे न सिर्फ स्कीम मास्टर हैं, बल्कि कोई भी समस्या खड़ी हो वे तत्काल उसकी भरपाई के लिए एक स्कीम खड़ी कर देते हैं. जिसका फल यह है कि इन 15 सालोंं में उन्होंने अपने वोटर नहीं बल्कि बेनिफिशरिस (लाभार्थी) खड़े कर दिए हैं.पहली बार जितनी ताकत झोंक रहे हैं
अब चौथी बार शिवराज सिंह जनता से वोट मांगने जन आशीर्वाद यात्रा पर निकल पड़े हैं. एक लो फ्लोर बस को रथ बनाकर मध्यप्रदेश के ग्रामीण ट्राइबल इलाकों को टारगेट कर रहे हैं. वे जानते हैं कि भाजपा यहीं कमजोर हो सकती है. कांग्रेस की नजर इन्हीं सीटों पर है. आदिवासी, किसान और ग्रामीण इलाका कांग्रेस की वापसी का रास्ता बन सकता है. वे तीन बार के मुख्यमंत्री हैं लेकिन अपने इस अभियान में इतनी ताकत झोंक रहे हैं जैसे पहली बार कोई नेता वोट मांगने के लिए जनता के बीच हो.रोजना 14 से 16 घंटे सड़क पर
14 जुलाई से उनकी यह यात्रा शुरू हो चुकी है और शिवराज सुबह 10 बजे भोपाल से सीएम हाउस से निकलकर स्टेट हैंगर पर पहुंच रहे हैं. पहले स्टेट प्लेन, फिर हेलिकॉप्टर और फिर बसनुमा रथ में सवार होकर रोड शो करते हुए जनता में पहुंच रहे हैं. रोजाना लगभग दो सौ से ढाई सौ किमी का यह बस रूट तय करने में उन्हें 14 घंटे तक लग रहे हैं, लेकिन उत्साह की कोई कमी या थकान का कोई नामोनिशान उनके आसपास नहीं है. उन्हें अपने रथ से 10 हजार किमी. का फासला तय करना है.

रथयात्रा पर हुई विशेष बातचीत में वे उत्साह के साथ कहते हैं कि यह परिश्रम उनसे ईश्वर ही करवा रहा है. खुद को जनता का सेवक और जनता का मामा बताते हुए वे कहते हैं, ‘उन्होंने गरीबी को करीब से देखा है. इसलिए वे जनता की तकलीफ को जानकर योजना तैयार करते हैं. मजदूर बहनों को प्रसूति लाभ उन्होंने इसलिए शुरू किया ताकि वे दो दिन बाद ही काम पर लौटने की जल्दी न करें.’ देश भर के किसानों के लिए मॉडल बनीं भावांतर योजना को लेकर वे कहते हैं, ‘उन्हें पता था कि बाजार में उसके साथ मुनाफाखोर क्या कर रहे हैं. हमने धान के अंतर का पैसा सीधे किसान के खाते में जमा करवाया है.’जनता के आगे कोई नफा नुकसान नहीं
बिजली माफी की योजना को जनता के लिए सबसे बड़ी राहत बताते हुए वे कहते हैं कि मेरे प्रदेश वासी बिजली के बिलों से तकलीफ में थे. हमने तय किया और जरूरत की बिजली का अनुमान लगाकर दो सौ रुपये बिल हर गरीब परिवार के लिए कर दिया. क्या यह चुनावी मास्टर स्ट्रोक है? वे कहते हैं ऐसा राजनीतिक लोग कहते होंगे लेकिन मेरे लिए तो जनता की परेशानी है और मैं इसमे न तो राजनीतिक नफा देखता हूं न खजाने का नुकसान.टेक्नॉलॉजी से बदले चुनाव का नजारा
रथ यात्रा अलीराजपुर से जोबट और वहां से थांदला की ओर जा रही है. पूरा आदिवासी इलाका है. लेकिन सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर पर हुए काम ने इस इलाके को जैसे छोटे शहरों में तब्दील कर दिया है. डिजिटल टेक्नॉलॉजी इस चुनाव में क्या असर दिखाएगी इसका नजारा भी यहां देखने को मिल रहा है.इस बार पोस्टर में पीएम मोदी भी
शिवराज मामा का रोड शो देखने सुनने आई भीड़ के आदिवासी युवा, मोबाइल से वीडियो बना रहे हैं. मोटर साइकिल पर रथ के पीछे दौड़ रहे हैं. पूरा इलाका भाजपा और शिवराजमय है और इस बार सबसे खास बात यानि शिवराज के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैं. 2013 के चुनाव में शिवराज अकेले भाजपा के नायक थे. लेकिन अब जगह-जगह पोस्टर बैनर होर्डिंग्स में पीएम मोदी भी शिवराज के साथ नजर आ रहे हैं.

कांग्रेस का आरोप है कि शिवराज सरकार इस यात्रा पर रोज दो करोड़ खर्च कर रही है और प्रायोजित भीड़ इकट्ठी कर सरकारी खजाने को चूना लगी रही है. लेकिन शिवराज का रथ निर्बाध अपनी गति से चल रहा है. कांग्रेस अभी चुनाव का फ्लोर मैनेजमेंट करने में जुटी है. उसकी बरसों से बंद गाड़ी को चलाने लायक बनाया जा रहा है. वहीं शिवराज ने किसी का भी इंतजार किए बगैर अपनी चालू गाड़ी को मैदान में लाकर दौड़ाना शुरू कर दिया है.वे जानते हैं कि सहजता ही उनकी ताकत है और इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस से ज्यादा अपनी पार्टी वर्कर से है. जो जनता से ज्यादा अपेक्षाओं से भरा हुआ है. उसकी नाराजगी चौथी बार सरकार बनाने के लिए भारी पड़ सकती है. इसलिए यह जन आर्शीवाद यात्रा जनता के लिए कम पार्टी वर्कर के लिए ज्यादा है. जो सड़कों पर माहौल बनाने सक्रिय होने निकल पड़ा है.रहा सवाल यात्रा की सभाओं में उमड़ रही ठेठ गांव से आ रही आदिवासी भीड़ का तो उनकी आंखों की चमक और चेहरे की मासूमियत बयां करती है कि उन्हें पता है कि हर चुनाव का यहीं दस्तूर है. शिवराज मंच से क्या घोषणाएं कर रहे हैं क्या कह रहे हैं? यह उन्हें खास समझ नहीं आ रहा लेकिन उन्हें पता है कि
‘चुनाव आवि गया है…’ और अब तो ‘ऐसो ही कई बार आनो पड़ेगो…”तो वोट किसे देगा.. शिवराज मामा को ? हां जो को म्हारा ठाकर बोल दे…’