लॉकडाउन खुलने के बाद यात्री ट्रेन में यदि कोई संक्रमित मिलता है तो उसे मोबाइल आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा।
भोपाल। कोरोना वायरस से लड़ने भोपाल रेल मंडल में 241 बेड का चलता-फिरता अस्पताल तैयार हो गया है। यानी ट्रेन के कोच में मोबाइल आइसोलेशन वार्ड बनाए हैं, जिनका कोरोना संक्रमण प्रभावित क्षेत्रों में उपयोग किया जाएगा। ये वार्ड ट्रेनों के एसी व जनरल कोचों में बनाए हैं। कोच में बेड के अलावा एक डॉक्टर-पैरामेडिकल कक्ष और एक दवा कक्ष है। ये आवश्यकता के अनुसार ट्रेन के साथ या अलग से चलाए जाएंगे, इसलिए इनका नाम मोबाइल आइसोलेशन वार्ड रखा है। सूत्रों के मुताबिक लॉकडाउन खुलने के बाद यात्री ट्रेन में यदि कोई संक्रमित मिलता है तो उसे मोबाइल आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा। फिलहाल ये भोपाल, इटारसी, बीना, गुना में उपयोग करने तैयार किए हैं। 10 कोच में भोपाल कोचिंग डिपो व 23 कोच में निशातपुरा रेलवे फैक्ट्री द्वारा आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं।
भोपाल रेल मंडल पश्चिम मध्य रेलवे में आता है। इसका जोन मुख्यालय जबलपुर है। मंडल मुख्यालय के भोपाल कोचिंग डिपो में 24 कोच व निशातपुरा रेल कोच फैक्ट्री में 47 कोच के अंदर मोबाइल आइसोलेशन वार्ड बनाए जा रहे हैं। रविवार शाम तक भोपाल कोचिंग डिपो ने 10 व कोच फैक्ट्री ने 23 कोच में आइसोलेशन वार्ड बना दिए हैं। कोचिंग डिपो एक कोच में 8 व फैक्ट्री द्वारा एक कोच में 7 बेड तैयार किए हैं। इस तरह 33 कोच में 241 बेड का चलता फिरता अस्पताल तैयार हो चुका है। 37 कोच में वार्ड बनाने का काम चल रहा है। इनमें से 13 कोच में भोपाल कोचिंग डिपो व 24 में कोच फैक्ट्री द्वारा आइसोलेशन वार्ड बनाए जा रहे हैं।
वार्ड में मच्छरदानी भी
इन वार्डों में बिजली, पानी की व्यवस्था है। दवाइयां, मेडिकल उपकरण व ऑक्सीजन सिलेंडर, मेडिकल वेस्ट रखने के लिए डस्टबिन हैं। बाल्टी, मग्घा, स्टूल के इंतजाम हैं। बेड के बीच एक मीटर से अधिक का फासला है। एक कोच में तीन शौचालय और एक बाथरूम है। प्रत्येक वार्ड, शौचालय, बाथरूम में सैनिटाइजेशन की व्यवस्था है। सभी बेडों में मच्छरदानी, परदे लगे हैं, जो मरीजों को मच्छरों के काटने से बचाएगी।
भोपाल रेल मंडल कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इसके लिए मोबाइल आइसोलेशन वार्ड बनवा रहे हैं। जरूरत के आधार पर इनका उपयोग करेंगे। रेलकर्मी कोरोना को हराने के लिए पूरी सजगता व सतर्कता से काम कर रहे हैं। – उदय बोरवणकर, डीआरएम भोपाल रेल मंडल