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*लॉक डाउन में फंसे सहरिया आदिवासियों को घर वापस लाने सरकार शीघ्र प्रबन्ध करे-संजय बेचैन*

शिवपुरी। सहरिया आदिवासियों का हितैषी होने का मध्यप्रदेश शासन कितना भी दावा करे मगर हकीकत इसके उलट है। सहरिया आदिवासियों के दुख दर्द से सरकारों को कोई वास्ता नहीं है । आज कोरोना काल मे अपने गांव छोड़कर अन्य प्रदेश व जिलों में मजदूरी करने गए हजारों सहरिया आदिवासी मजदूर लॉक डाउन के कारण वहीं फंस गए हैं , जो भूख और तकलीफें झेल रहे हैं । शासन ने ऐसे मजदूरों को घर वापसी के लिए अभी तक किसी योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया है।
सहरिया क्रांति के संयोजक संजय बेचैन ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि शिवपुरी जिले में सहरिया जनजाति की संख्या लाखों में है । हर गांव में सहरिया आदिवासी शोषण और दमन का शिकार हैं रोजगार गारंटी के कार्य केवल कगजीखानापूर्ती तक सीमित है उनकी मजदूरी का पैसा तक कई सरपंच सचिव बैंकों से सांठगांठ कर निकलवाकर उन्हें चलता कर देते हैं। ऐसी स्थिति में सहरिया आदिवासी अपने गांव को छोड़कर अन्य जिलों व प्रदेशों में मजदूरी करने सपरिवार चले जाते हैं। ऐसे ही कई मजदूर लॉक डाउन के कारण वहीं फंसे रह गए हैं ,जिनको अब खाने के भी लाले पड़ने लगे हैं। संजय बेचैन ने बताया कि सरकार की तरफ से ऐसे किसी भी मजदूर तक सीधी कोई सहायता नहीं पहुंची है , वे अब तक तो खेत मालिक व फेक्ट्री मालिकों से मिले राशन से गुजर कर रहे थे लेकिन अब वे भी नाक -भौं सिकोड़ने लगे हैं ,मुसीबत में फंसे मजदूरों को भूख से भी जूझना पड़ रहा है ।
श्री बेचैन ने बताया कि कई मजदूर जंगल के रास्तों पैदल चलते चलते अपने गांव लौट आये हैं जबकि कई निकलने के लिए तड़प रहे हैं , सरकार अतिशीघ्र सहरिया मजदूरों को घर वापस लाने की योजना बनाये तथा तब तक सम्बंधित कलेक्टर से बात कर उनको जिस स्थान पर वे फंस गए हैं वहीं राशन मुहैया कराए।

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