*अति गरीब आदिवासियों के रोटी दान से अब कोई नहीं सो रहा भूखा**
**सहरिया क्रांति की अनूठी मुहिम से गरीब बने दानी,*
**एक चूल्हा एक रोटी से गांव में नही सो रहा कोई भूखा*
शिवपुरी । उन तमाम दिखावा परस्त समाजसेवियों को देश की सबसे गरीब सहरिया जनजाति ने करारा तमाचा मारा है जो दो-पांच किलो आटा की पुड़िया बांटकर अपने को महादानी घोषित कर वाह-वाही लूटने की जिज्ञासा रखते हैं । शिवपुरी के आदिवासी बाहुल्य गांवों में सहरिया क्रांति आंदोलन के सहरिया आदिवासी समुदाय ने एक अनूठा संकल्प लेकर अभियान प्रारम्भ किया है , जो देश भर में नज़ीर बन सकता है ।इस अभियान से कोरोना काल में कम से कम भूख से तो कोई गरीब दम नही तोड़ेगा। सहरिया क्रांति ने कोविड 19 कोरोना महामारी के बीच लाचार और कमजोर वर्ग को भूख से बचाने सम्मान सहित *एक चूल्हा एक रोटी* अभियान चलाया है । जिसमे गांव गांव के सहरिया आदिवासी हर उस घर से एक रोटी ले रहे हैं जहां चूल्हे की अग्नि प्रज्ज्वलित को रही है और एकत्रित की रोटियां उन घरों में पहुंचाई जा रही हैं जिन घरों में इन विकट परिस्थितियों में चूल्हा नही जल पा रहा और वे भूख से जूझ रहे हैं ।
कोविड 19 कोरोना वायरस संकट काल मे सहरिया क्रांति का एक चूल्हा एक रोटी अभियान का शुभारंभ भी इसी कड़ी का हिस्सा है , जिसे सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन ने सहरिया बस्तियों , मजरों और टोलों में प्रारम्भ कराया है ।
*यह है एक चूल्हा एक रोटी अभियान*
एक चूल्हा एक रोटी अभियान के तहत सहरिया क्रांति के अनिल आदिवासी ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते बेरोजगारी उतपन्न हो गई है । लोगों के पास राशन पानी की समस्या मुंह वाये खड़ी है सम्पूर्ण देश मे राशन पानी की किल्लत होने लगी है , ऐसे में हर गांव में 90 प्रतिशत घरों में चूल्हे की अग्नि प्रज्वलित हो रही है लेकिन हर आदिवासी बस्ती में 10 प्रतिशत घर ऐसे हैं जो महा विकट गरीबी से जूझ रहे हैं , कोई व्रद्ध है, जिनके यहां कोई कमाने खिलाने वाला नहीं है, कोई , शारीरिक रूप से विकलांग है , किसी के पुत्र और परिवार लॉक डाउन के कारण दूसरे प्रान्तों में फंस गए हैं और घर मे अनाज पानी का कोई इंतजाम नहीं है आदि ऐसे लोगों को हर चूल्हे से एक सम्मान की रोटी एकत्रित की जा रही है । और उन रोटियों को गांव के सहरिया क्रांति के सैनिक सम्मान सहित आसन पर बैठाकर आदर सहित उन जरूरतमंदों को खिला रहे हैं ।
*ये है उद्देश्य*
सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन ने बताया कि देश की अति गरीब जनजाति सहरिया आदिवासी इस समय विकट संकट का सामना कर रहे हैं , सरकारी इंतजामात की स्थिति किसी से छुपी नहीं है , ऐसे में किसी भी गरीब आदिवासी की भूख से मौत न हो इसलिए उसी गांव से रोटियां एकत्रित कर आदिवासी युवा अति से अति गरीब व मजबूर के घर पहुंचा रहे हैं , एक रोटी ज्यादा बनने से किसी सहरिया परिवार पर ज्यादा असर भी नहीं पड़ता ओर आसानी से गरीब के पेट मे भोजन पहुंच जाता है।
*खुद भिक्षा पात्र ले रोटी एकत्रित करए हैं संजय बेचैन*
एक चूल्हा एक रोटी अभियान की गाँव गाँव जाकर शुरुआत कराई जा रही है , ऐसे में सहरिया क्रांति संयोजक स्वयं भिक्षापात्र हाथ मे ले आदिवासियों से रोटियां एकत्रित कर अभियान की शुरुआत करते हैं , उसके बाद गांव में आदिवासियों की टोलियां ये कार्य करती हैं ।
*संकल्प*
सहरिया क्रांति ने संकल्प लिया है कि कितनी भी विकट स्थिति आ जाये किसी गरीब को भूख से नही मरने दिया जाएगा , इसके लिए चाहे कोई भी जतन क्यों न करना पड़े।