*मेरे सपनों की दुनिया*
जन्नत-सा खुबसुरत जहान होगा वो,
प्यार के फूलों से महकता आँगन होगा वो!!
रंजिशों की तलवारें नहीं चलेंगी वहाँ,
एक-दूसरे के दिल में बस बेशुमार प्यार होगा वहाँ!!
माता-पिता और बच्चों के बीच कोई फ़ासला ना होगा वहाँ,
समझ और प्यार की डोरी से मज़बूत हर रिश्ता होगा वहाँ!!
‘इंसानियत’ के कई नायाब किस्से होंगे वहाँ,
मतलब से बुने गए रिश्तों का कोई मोल ना होगा वहाँ!!
जहाँ लड़कियों पर फिज़ूल की रोक टोक न होगी,
संस्कारों के साथ-साथ सोच भी पवित्र होगी!!
जहाँ मज़हब के तराज़ू में कोई नहीं तोला जाएगा,
बस सच्चा देश प्रेम रगों में बहता नज़र आएगा!!
‘भ्रष्टाचार’ नाम का राक्षस नही होगा,
‘समानता’ का हर कहीं नाम और काम होगा!!
हर बच्चे के सपने लंबी उड़ान भरेंगे,
कुछ इस तरह ‘मेरे सपनों की दुनिया’ में रंग बिखरेंगे!!
कवयित्री- प्रीति कुकरेजा
भोपाल