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हत्‍या के आरोपी की तीसरी बार जमानत खारिज

*हत्‍या के आरोपी की तीसरी बार जमानत खारिज*

टीकमगढ़। मीडिया सेल प्रभारी एन.पी. पटेल ने बताया कि दिनांक 23.06.2020 को सुबह 10 बजे फरियादी भगवानदास लोधी अपने छोटे भाई नारायणदास के साथ घर पर था, तभी हल्‍का पटवारी नादिया आये और बोले कि रास्‍ते का विवाद है जिसकी रिपोर्ट बनाना है, मौका दिखा दो, तो फरियादी, उसके भाई नारायणदास, सुरेश प्रजापति निवासी सकरया एवं संतोष अहिरवार पटवारी जी के साथ घटनास्‍थल पर पहुंचे। पटवारी मौके का निरीक्षण करने लगा, तभी दूसरा पक्ष एकत्रित होकर हाथों में हथियार लेकर मौके पर आ गये, तो पटवारी वहां से चले गये। इसके बाद केशवदास लोधी हाथ में लोहांगी लिये था, जो उसके सिर में बांये आंख के ऊपर मार दी, जिससे वह जमीन पर गिर गया। उसके बाद केहर सिंह ने लाठी उसके सिर में मार दी। जब बीच-बचाव करने उसका भाई नारायणदास आया तो नारायणदास को केशवदास ने हाथ में लोहांगी मार दी, जिससे उसके सिर में चोट आयी और वह जमीन पर गिर गया। उसके बाद ब्रगभान लोधी, नथुआ लोधी दोनों ने लाठियों से उसे और उसके भाई नारायणदास को जान से मारने के उद्देश्‍य से लाठिया मारना चालू कर दिया। जब उन लोगों ने बचने का प्रयास किया और उठने लगे तो राजकुमार लोधी, देशराज लोधी, राजू लोधी और सूरज अहिरवार अपने हाथों में लाठी लिये हुये थे जिन्‍होंने उन्‍हें उठने नहीं दिया और लाठियां मारते रहे जिस कारण वह लहू-लुहान होकर जमीन पर डले रहे। जब सुरेश कुमार प्रजापति बीच-बचाव के लिये आये तो आरोपीगण ने उसकी बात न सुनते हुये उन दोनों भाईयों पर लाठी-डंडों से प्रहार किया। उसके भाई नारायणदास चिल्‍लाते-चिल्‍लाते मौके पर ही खत्‍म हो गया। उसके बाद सभी आरोपीगण वहां से भाग गये, उसके बाद फरियादी के परिवार वालों ने अपनी चार पहिया गाड़ी से उसे व नारायणदास को लेकर टीकमगढ़ अस्‍पताल आये जहां डॉक्‍टरों ने नारायणदास को मृत घोषित कर दिया। उक्‍त के आधार पर थाना दिगौड़ा में आरोपीगण के विरूद्ध अपराध 204/2020 अंतर्गत धारा 302, 307, 147,148, 149 भादवि का पंजीबद्ध किया गया। प्रकरण की विवेचना की गई विवेचना के दौरान, आयी चक्षुदर्शी साक्ष्‍य के अनुसार आरोपीगण के विरूद्ध अपराध सिद्ध पाये जाने पर आरोपियों को गिरफ्तार कर न्‍यायालय में पेश किया गया। आवेदक अभियुक्‍त पर गंभीर प्रकृति का अपराध है आवेदक का तृतीय जमानत आवेदन है इसके पूर्व उसके द्वारा दो नियमित जमानत आवेदन प्रस्‍तुत किये गये थे जो निरस्‍त हुए थे। उपरोक्‍त तृतीय जमानत आवेदन का विरोध करते ए.जी.पी. श्री नरेन्‍द्र सिंह द्वारा कहा गया कि आवेदक द्वारा किया गया कृत्‍य गंभीर प्रकृति का है तथा जमानत की दशा में आवेदक द्वारा साक्ष्‍य को प्रभावित किया जा सकता है अत: आवेदक को जमानत का लाभ न दिया जाये। अभियोजन के उक्‍त तर्कों से सहमत होकर माननीय न्‍यायालय चतुर्थ अपर सत्र न्‍यायाधीश टीकमगढ़ द्वारा आवेदक के तृतीय जमानत आवेदन को निरस्‍त कर दिया।

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