नई दिल्ली। भाजपा के एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव का बीजद व वाईएसआर कांग्रेस ने विधि आयोग के सामने समर्थन किया है। अब मोदी सरकार के इस प्रस्ताव के समर्थन में छह दल खड़े हैं तो विरोध में नौ।
राजग समर्थक अकाली दल, एआइएडीएमके, तेलंगाना राष्ट्र समिति के साथ सपा ने प्रस्ताव का समर्थन किया है, जबकि भाजपा की सहयोगी गोआ फारवर्ड पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, आप, द्रमुक, तेलुगुदेसम, फारवर्ड ब्लाक, जद (एस) व वाम दलों ने प्रस्ताव पर एतराज जताया है।
विधि आयोग ने सात व आठ जुलाई को सभी राजनीतिक दलों को उनका पक्ष जानने के लिए आमंत्रित किया था। भाजपा इस प्रस्ताव का समर्थन कर रही है पर उसने आयोग से आग्रह किया है कि जवाब के लिए वक्त मिले।
कांग्रेस ने सिरे से नकारा
प्रस्ताव को कांग्रेस ने सिरे से नकार दिया है। पार्टी का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो क्या किसी राज्य विशेष में सरकार के बर्खास्त होने पर लोगों को बाकी समय राष्ट्रपति शासन में रहना होगा, क्योंकि ऐसी स्थिति में समय से पहले तो फिर चुनाव कराने नामुमकिन हो जाएंगे।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेस वार्ता में कहा कि मोदी सरकार एक साथ लोकसभा व विधानसभा चुनाव की बात कहकर संविधान का माखौल उड़ा रही है।
उनका कहना था कि आजादी के बाद सारे देश में एक साथ चुनाव हुए थे, लेकिन राज्य सरकारें बीच में गिरीं तो वहां पर मध्यावधि चुनाव कराने पड़े और इससे एक साथ दोनों चुनाव कराने की नीति को झटका लगा।
उनका कहना था कि मोदी सरकार फिर से एक शिगुफा छोड़ रही है। पीएम कहते हैं कि दोनों चुनाव एक साथ कराने से 45 करोड़ का ही खर्च आएगा।
सिंघवी का कहना था कि उन्हें देश की इतनी चिंता है तो अपने महिमा मंडन के लिए खर्च हुए 46 सौ करोड़ के खर्च पर रोक लगाएं।
उनका सवाल था कि अपने प्रस्ताव को सिरे चढ़ाने के लिए मोदी सरकार दो तिहाई बहुमत कहां से जुटाएगी?
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