पापा -: एक आत्म विश्वास
सागर जितना प्यार बरसाते है,,
अम्बर जैसा छत्र बन जाते है,,
कहते हुए भी कुछ ना कह पाते है,,
वो पापा है जो बिन बोले समझ जाते है,,
मन के दुख को जिसने आहट से पहचाना,,
दिल की हर बात को पहले से जाना,,
खुद फटे जूते पहने पर हमको नए जूते लाना,,
हर अरमानों को पूरा करने के लिए पसीना बहाना,,
किसी कौने में जाकर आपनी आंखो को भिगोया,,
बिन बोले अपना प्यार हम पर बरसाया,,
पीठ थप थपा कर विश्वास दिलाया,,
जिसने हम सब का आत्म विश्वास बढ़ाया,,
सपने पूरे करने में जिसने जान लगाई,,
उनके नाम को ही हमने अपनी पहचान बनाई,,
बेशक दुनिया में मां लेकर आई पर पापा ने दुनिया बसाई,,
उनका कंधे पर हाथ बस रखना जीवन बन जाता सुखदाई
जिसने जीवन का खेल सिखाया,,
चरण वंदन है जिसने हर पल साथ निभाया,,
इंजी. सोनू सीताराम धानुक “सोम”
शिवपुरी (मध्य प्रदेश)
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