शिवपुरी-कोरोना जैसी महामारी का संक्रमण जब लोगों की जिंदगी के लिए खतरा बना हुआ था, तब भी हमने हर मरीज की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की और अब भी अपने कर्तव्य को बेहतर ढंग से निभा रहे हैं, लेकिन प्रदेश सरकार हमारी मांगों पर लगातार अनदेखी कर रही है, ऐसे में आंदोलन ही एक रास्ता था। यह कहना है श्रीमंत राजमाता विजयराजे सिंधिया चिकित्सालय के सामने लगातार पांचवें दिन धरना-आंदोलन पर बैठीं नर्सों ।
नर्सेस एसोसिएशन जिला इकाई की पदाधिकारी व सदस्य नर्सों ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर रखने में नर्सिंग स्टाफ की अहम भूमिका रहती है। इस बात का उदाहरण हमने कोरोना महामारी में देखा जहां नर्सेस ने फ्रंट लाइन वर्कर (कोरोना योद्धा) के रूप में काम किया और लोगों की जान बचाई वो भी अपनी जान की चिंता किए बिना। किन्तु इतना सब करने के बाद भी आज स्वास्थ विभाग की नर्सों को मूलभूत मांगों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
पिछले कई वर्षों से नर्सेस एसोसिऐशन मध्य प्रदेश अपनी 12 सूत्रीय मांगों को पूरा करने के लिए शासन-प्रशासन तक ज्ञापन व अन्य तरीकों से उन तक पहुंची है। इन मांगों में उच्च स्तरीय वेतनमान सेकंड ग्रेड अन्य राज्यों की तरह मध्य प्रदेश की सभी नर्सों को दिया जाए। पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए। कोरोना काल में शहीद हुए नर्सिंग स्टाफ के परिजनों को अनुकंपा तथा 15 अगस्त को राष्ट्रीय कोरोना योद्धा के रूप में सम्मानित किया जाए। इस प्रकार कुछ अन्य मांगे शामिल हैं।
कहा कि सरकार ने अभी तक इन मांगो पर कोई ध्यान नहीं दिया है। जिसके बाद नर्सेस एसोसिऐशन मध्य प्रदेश के आव्हान पर 28 जून को सभी नर्से सामूहिक अवकाश पर रहीं और 30 जून से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठी हुई हैं।
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