धार/खरगोन
साहब, न घर बचा, न खेत… पहाड़ी पर पन्नी डालकर रहने काे मजबूर हैं। डैम के पानी ने हमारा सबकुछ छीन लिया। खेत पर खड़ी फसल नष्ट हो चुकी है। अब खेत में पत्थर ही पत्थर नजर आ रहे हैं। यहां तो अब जीवन भर फसल ही नहीं उगेगी। कैसे गुजर करेंगे। घर बहने के बाद अब कोई छत नहीं है… पत्नी-बच्चे समेत खुले में रह रहा हूं। आप ही कुछ मदद करें… यह पीड़ा है कारम डैम में सब कुछ गंवाने वाले ग्रामीणों की। मंगलवार को पूर्व सीएम कमलनाथ डैम का दौरा करने पहुंचे। इस दौरान ग्रामीणों ने उन्हें अपना दर्द बताया।
कमलनाथ से एक ग्रामीण ने कहा, डैम के पानी से नदी किनारे की मेरी 10 बीघा जमीन पर खड़ी फसल पूरी बह गई। अब बस पत्थर ही नजर आ रहे हैं। हालात ऐसे हो गए कि यहां पर अब कोई कमाई नहीं होगी। कमलनाथ ने पूछा अब क्या करोगे, तो बोले- जीवन भर अब खेती नहीं होगी। हमारे मकान भी गिर गए, अब क्या करेंगे। इस पर कमलनाथ ने कहा, आप जानते हैं बीजेपी की सरकार है। हमसे जो भी मदद होगी हम करेंगे।
गांव से गुजरते समय रास्ते में खड़ीं महिलाओं ने कमलनाथ को रोक लिया। वे बोलीं- गाय, बकरी के साथ जंगल में रहने को मजबूर हैं। सबकुछ खत्म हो गया। कमलनाथ ने पूछा, मुआवजा कुछ मिला। कोई गांव आया था क्या। सभी ने कहा- सुध लेने वाला कोई नहीं है।
पता नहीं प्रदेश में ऐसे कितने डैम बने हैं- कमलनाथ
कमलनाथ ने कहा, मैं प्रभावितों से मिला, उनके मकान, जमीन… सबकुछ चौपट हो गया है। यह प्रदेश में भ्रष्टाचार की जो व्यवस्था बनी है, उसका उदाहरण है। मुख्यमंत्री रहते मैंने ई-टेंडर को लेकर कार्रवाई शुरू की थी। शिवराज सरकार में हर ठेके में जब तक सौदा नहीं होता, तब तक कोई काम नहीं होता। इतनी सारी योजनाएं इसलिए रुकी हुई हैं, क्योंकि दलाली का सौदा जाे अब तक पूरा नहीं हुआ है। आज मिट्टी का डैम देखकर आश्चर्य हुआ। पता नहीं प्रदेश में ऐसे कितने डैम बने हैं। डैम ने प्रभावितों को लिए जिंदगीभर के लिए बर्बाद कर दिया।
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