श्योपुर। श्योपुर जिले में एक से डेढ़ साल के कार्यकाल के बाद ही कलेक्टर-एसपी जैसे अफसर बदले जा रहे हैं । भले ही सरकार दावा करे कि अफसरों की अदला-बदली व्यवस्थाओं को कसने के लिए होती है,लेकिन इसकी दूसरी सच्चाई यह भी है कि, अफसरों के तबादले के साथ ‘भ्रष्टाचार” के मामलों की जांच और उन पर कार्रवाई भी बंद कर दी जाती है।
यानी अफसरों का तबादला भ्रष्टाचार के मामलों को दबाने की पक्की गारंटी है। श्योपुर जिले में ऐसे एक नहीं दर्जनों उदाहरण हैं जिनमें नई पदस्थापना के बाद आए कलेक्टर, एसपी, जिपं सीईओ या डीएफओ ने पुराने भ्रष्टाचार के मामलों की फाइलों को बंद करवा दिया। नए अफसर पुराने भ्रष्टाचार पर कोई एक्शन ले नहीं पाए और उन्हीं के कार्यकाल में फिर नया घोटाला हो गया।
कन्यादान योजना घोटाला भी ठंडे बस्ते में
बीते साल मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत होेने वाली शादियों के लिए सामाजिक न्याय विभाग ने जो खरीदी की उसमें जमकर घपला किया गया। 240 रुपए के कुकर को 700 रुपए में खरीदा गया। आईएसआई मार्का की वजाय ऐसी कंपनियों के कुकर खरीदे गए जो कंपनियां कुकर बनाती ही नहीं।
इसके अलावा चांदी के जेवरात भी नकली खरीदे गए। तत्कालीन कलेक्टर ने जांच बैठाई। जांच में खरीदी के लिए बनाई गई समिति के काम-काज को गलत बताया लेकिन, कार्रवाई से पहले कलेक्टर अग्रवाल का तबादला हो गया और यह घोटाला ऐसा दबा कि आज तक किसी ने नाम तक नहीं लिया।
जिला अस्पताल का खरीदी घोटाला भी दफन
करीब 10 महीने पहले जिला अस्पताल प्रबंधन ने रोगी कल्याण समिति आरकेएस मद से 10 लाख रुपए की खरीदी की गई। इस खरीदी में घपला ऐसा हुआ कि 2000 रुपए की स्ट्रीट लाइट को 5600 रुपए में और 540 रुपए के पंखे को 1300 रुपए में खरीदा गया था।
ऐसे ही अन्य सामान दो से तीन गुने दामों पर खरीदा गया। तत्कालीन कलेक्टर पीएल सोलंकी ने इस मामले की जांच के आदेश एसडीएम को दिए,लेकिन कुछ महीने बाद कलेक्टर पीएल सोलंकी रिटायर हो गए और अस्पताल का यह खरीदी घोटाला अन्य घोटालों की तरह दफन हो गया।
जंगल में भ्रष्टाचार का मंगल, भूले अफसर
जंगलों की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने दो साल पहले वन विभाग ने कई जगह पर बाउण्ड्री बनवाने के लिए लाखों रुपए का बजट दिया। इसमें जमकर घोटाला हुआ। वन अफसरों ने पुरानी बाउंड्री केे पत्थरों ने कुछ दूरी पर नई बाउंड्री बना दी और लाखों का भुगतान ले लिया।
इतना ही नहीं जंगल की जुताई और रक्षा श्रमिकों के नाम पर भी जमकर फर्जीवाड़ा हुआ। 8 और 10वीं में पढ़ रहे नाबालिग बच्चों को मजदूर बनाकर उनके खाते में मजदूरी का पैसा जमा कराया बाद में वन अफसरों ने यह पैसा बच्चों के माता-पिता से यह कहकर वापस ले लिया कि, गलती से खाते में आ गया। वन विभाग के डीएफओ बदले तो यह घोटाला भी दब गया।
भोपाल के अफसरों पर भारी श्योपुर के अधिकारी
विपणन संघ श्योपुर के गोदामों से 35 लाख रुपए का 183 टन खाद गायब कर दिया गया। यह खाद किसको दिया गया? कब दिया गया? इसका हिसाब किसी के पास नहीं। खाद का यह घपला गोदामा के इंजार्च सहित कई कर्मचारी व अधिकारियों ने मिलकर किया।
चौंकने वाली बात यह है कि, खाद का यह घोटाला 13 महीने पहले पकड़ में आ चुका है और विपणन संघ के एमडी ज्ञानेश्वर बी पाटील ने दोषियों पर एफआईआर के लिए छह महीने पहले श्योपुर कलेक्टर व एसपी को पत्र भेजा लेकिन, किसानों के खाद की कालाबाजारी करने वालों पर एफआईआर नहीं हुई, सभी भ्रष्ट आज भी उसी दफ्तर में काम कर रहे हैं।
इनका कहना है
-भाजपा की सरकार में विकास पर तो सिर्फ बातें होती हैं। काम तो भ्रष्टाचार पर ही हुआ है। ऐसा कौन सा विभाग है जहां भ्रष्टाचार नहीं हो रहा। अधिकारियों का व्यवहार भी भाजपा प्रवक्ताओं जैसा हो चुका है, वह भ्रष्टाचार के मामलों पर गोलमोल जबाव देकर पल्ला झाड़ लेते हैं।
रामनिवास रावत विधायक, विजयपुर
-मुझे अभी श्योपुर का प्रभार मिला है। मेेरे सामने फिलहाल ऐसा कोई प्रकरण नहीं आया ,लेकिन ऐसा है तो बहुत गंभीर बात है और इस पर चिंतन होना चाहिए। मैं इस बात को माननीय मुख्यमंत्री के सामने रखूंगा।
नारायण सिंह कुशवाह प्रभारी मंत्री, श्योपुर
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