
राज्य अध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष जगदीश यादव का कहना है कि दिग्विजय सिंह सरकार के शिक्षा विभाग के उस काले अध्याय का अंत हो गया है, जिसके जरिए व्याख्याता, शिक्षक और सहायक शिक्षक के पद को मृत घोषित किया गया था. यह निर्णय तत्कालीन सरकार ने 12 जुलाई 1994 को लिया गया था. मंगलवार को वर्तमान सरकार ने अध्यापकों को शिक्षक बनाने का फैसला लेकर दिल जीत लिया है.आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका आदि के वेतन में वृद्धिशिवराज सरकार इससे पहले आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका आदि के वेतन में वृद्धि का ऐलान कर चुकी है. साथ ही जेल प्रहरियों के बच्चों को अनुकंपा नियुक्ति के लिए आयु को 16 वर्ष किया जा चुका है. इसके अलावा कई और भी फैसले लिए गए. राजनीति के जानकारों की मानें तो शिवराज ने यह मास्टर स्ट्रोक तब मारा है, जब दिग्विजय सिंह राज्य की सियासत में सक्रिय हो रहे हैं. शिवराज की तैयारी दिग्विजय काल की याद दिलाने की है. उस समय कांग्रेस की पराजय के बड़े कारण कर्मचारी, बिजली और सड़क थे. शिवराज अब इन्हीं तीन मुद्दों पर अपने को फोकस कर रहे हैं. इससे सत्ता के खिलाफ जो भी माहौल हो, वह दिग्विजय के काल की याद दिलाकर खत्म किया जा सके.यहां एक बात बताना लाजिमी होगा कि पिछले दिनों पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी राज्य में भाजपा को ‘अंगद का पैर’ बताया था और एक पुस्तिका का विमोचन किया था, जिसमें दिग्विजय के कार्यकाल वर्ष 2002-03 और वर्ष 2017-18 की तुलना की गई है. इसमें खस्ता हाल सड़क, बिजली की बुरी हालत, सिंचाई की स्थिति आदि का ब्यौरा है.
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