@ आशीष पाण्डेय शिवपुरी शिवपुरी जिले के नरवर तहसील के पनघटा ग्राम पंचायत स्थित प्राथमिक विद्यालय में छात्र-छात्राएं भूखे पेट पढ़ाई करने को विवश हैं। विद्यालय में बच्चों को मिल रही दो पूरी उनके लिए पर्याप्त भोजन नहीं है, जिससे उनकी पढ़ाई पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
भूखे पेट भजन नहीं होय गोपाला ले तेरी कंठी ले तेरी माला ,
शिक्षा का अधिकार और ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ जैसे नारे भले ही सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल हों, लेकिन पनघटा के बच्चों को वास्तविकता से कोई राहत नहीं मिल रही है। हालात ये हैं कि बच्चों को महज दो पूरी खाने के लिए मिलती हैं, जिससे उनकी ऊर्जा स्तर काफी कम रहता है और वे पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं।
यह स्थिति चिंता का विषय है, क्योंकि भूखे पेट अध्ययन करने से बच्चों की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों का भविष्य इससे खतरे में है।
सवाल यह है कि जब सरकारी स्कूलों में बच्चों को बेसहारी का सामना करना पड़ता है, तो क्या यह सरकार की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे इन बच्चों को उचित पोषण और शिक्षा की सुविधाएं मुहैया कराएं? क्या सिर्फ नारे देना ही पर्याप्त है, या इसके साथ-साथ ठोस कार्रवाई भी करनी होगी?
ग्राम पंचायत और विद्यालय प्रबंधन की ओर से इस लापरवाही के प्रति कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि बच्चों को न केवल शिक्षा मिले, बल्कि वे स्वस्थ और पोषित भी रहें।
जब स्कूल पर जाकर छात्र-छात्राओं से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनको दो पूरी या दो रोटी दी जाती है । जिससे उनका पेट नहीं भरता मजबूरन बेबस होकर वह किसी से बोल नहीं पाती। बोलती है तो उन डरा धमका कर चुप करवा दिया जाता है।
मेनका कोली शिक्षक
शिक्षक मेनका कोली ने बताया कि इस संबंध में जब भी वह समूह संचालक से खान की बात करती है तो वह हमसे झगड़ा करने पर आमादा हो जाती है ,इस वजह से उन्होंने तो अब कहना ही बंद कर दिया।
पीके अवस्थी नरवर बीआरसी
पीके अवस्थी बीआरसी नरवर के सामने जब इस मामले को रखा गया तो उन्होंने बताया कि अगर शिक्षक बोल नहीं पाए तो इसकी शिकायत उनको बीआरसी को करना चाहिए। अगर आप मामले को संज्ञान में लेकर आए हैं तो हम स्कूल दिखा लेते हैं। यानी कि सीधे तौर पर वह भी खाना पूर्ति करते नजर आए।