
उन्होंने शनिवार (22 जून)) शाम पीटीआई भाषा को दिए इंटरव्यू में कहा, ”अब, यदि कांग्रेस (सरकार) पार्टी की अंदरूनी कलह से गिर जाती है तो वह कुछ नहीं कर सकते। हम किसी को अपदस्थ नहीं कर रहे हैं लेकिन वहां (मप्र में) जो कुछ चल रहा है, वह अच्छा नहीं है।” गौरतलब है कि मप्र में 15 साल तक सत्ता से बाहर रहने के बाद पिछले साल के आखिर में कांग्रेस की शासन में वापसी हुई, जब विधानसभा चुनाव में उसने भाजपा को हरायामप्र के तीन बार मुख्यमंत्री रहे चौहान ने खुद को ‘एक देश, एक चुनाव का प्रबल समर्थक बताते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ होना चाहिए क्योंकि लगातार चुनाव होने से देश का विकास पटरी से उतर जाता है। दरअसल, राजनीतिक दल अगले चुनावों की तैयारी में चौबीसों घंटे-सातों दिन लगे रहते हैं। उन्होंने कहा, ” मैं जब मुख्यमंत्री था तभी से इस विचार (एक देश, एक चुनाव) का प्रबल समर्थक हूं।”यह पूछे जाने पर कि क्या ‘एक देश, एक चुनाव’ छोटी पार्टियों के लिए अस्तित्व का संकट पैदा कर देगा, चौहान ने ओडिशा का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां लोकसभा चुनाव-2019 के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी हुए। लोकसभा चुनाव में भाजपा को अधिक वोट मिले जबकि विधानसभा चुनाव में नवीन पटनायक और बीजद को लोगों ने जनादेश दिया।पश्चिम बंगाल में चल रहे घटनाक्रम और वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर टिप्पणी करने के लिए कहे जाने पर चौहान ने कहा, ”वह अपना मानसिक संतुलन खो चुकी हैं और बहुत गुस्सैल हो गई हैं।” गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के बाद बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा समर्थकों के बीच हिंसक झड़प की घटनाएं देखने को मिली हैं।
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