मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मानते हैं कि एससी-एसटी एक्ट पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद मध्यप्रदेश में चले आंदोलन ने भाजपा को बड़ा नुकसान पहुंचाया। उन्होंने दावा किया कि वह चाहते तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने ही नहीं देते, पर पार्टी और वह ऐसा नहीं चाहते थे। उन्होंने कहा कि वह कमलनाथ सरकार को गिराना नहीं चाहते, लेकिन यदि कांग्रेस के अंतर्विरोध से खुद गिर जाए तो बात अलग है। शिवराज सिंह ने ये बातें भाजपा के राष्ट्रीय सदस्यता अभियान प्रमुख के नाते शनिवार को राजधानी में ‘अमर उजाला’ से बातचीत में कहीं।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि एमपी में एससी-एसटी एक्ट के आंदोलन में दुर्भाग्य से कुछ लोग मारे गए। इसकी नाराजगी का असर चुनाव पर पड़ा। कांग्रेस की किसान कर्जमाफी की घोषणा ने भी असर डाला। तीसरी वजह पुराने चेहरों के जितने टिकट बदलने चाहिए थे उतने नहीं बदले गए।
लोगों के मन में था कि सरकार तो शिवराज की ही बनेगी, इसलिए वे अपने यहां विधायक न भी जिताएं तो कोई बात नहीं। पर, कमलनाथ सरकार के रवैये से लोगों में भाजपा को हराने पर पछतावा हुआ। कर्ज माफ न होने से लोगों को कमलनाथ सरकार की हकीकत पता चल गई। फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता भी कारण बनी और लोकसभा चुनाव में 29में 28 सीटें भाजपा के हिस्से में आ गईं।
नेतृत्व जैसा तय करेगा वैसा करूंगा
सपा व बसपा यूपी में तो जीत नहीं पाए मध्य प्रदेश में क्या करेंगे ?
शिवराज ने कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजे सपा, बसपा सहित कई दलों की आंखें खोलने वाले हैं। उत्तर प्रदेश में यादव, मुस्लिम और जाटव वोटों के गणित पर सपा-बसपा ने गठबंधन किया था। पर, जनता ने जातिवाद से ऊपर उठकर विकास और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर मतदान किया। बसपा अध्यक्ष मायावती ने खुद यह कहते हुए गठबंधन तोड़ दिया कि उन्हें सपा का वोट नहीं मिला। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनाव हार गईं, मुलायम सिंह यादव के भतीजे चुनाव हार गए। यूपी में तो जीत नहीं पाए, मध्यप्रदेश में क्या करेंगे?
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