अब विधानसभा में भाजपा का संख्या बल रह गया केवल 108…
भोपाल। मध्यप्रदेश में लगातार कांग्रेस को सरकार चलाने में मिल रही चुनौती के बीच आज मंगलवार का दिन कांग्रेस के लिए कुछ राहत लेकर आया।
दरअसल झाबुआ विधानसभा सीट के भाजपा विधायक जीएस डामोर का विधानसभा से इस्तीफा तय हो गया है। जिसके बाद अब भाजपा के पास एक विधायक कम से कम उपचुनाव तक कम हो जाएगा,वहीं इससे पहले कांग्रेस के एक विधायक के इस्तीफे के बाद कमलनाथ की जीत के साथ ही कांग्रेस का एक विधायक वापस बढ़ गया।
ऐसे कम हुई भाजपा की सीट
इससे पहले जीएस डामोर 2018 में झाबुआ विधानसभा व उसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव में रतलाम-झाबुआ सीट पर सांसद का चुनाव जीत चुके हैं।
ऐसे में उन्हें सांसद या विधायक पद में से एक पद का चयन कर दूसरे को छोड़ना था। जिसका फैसला आज होना था, इसी के फैसले के चलते भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने बयान देते हुए कहा कि जीएस डामोर विधानसभा से इस्तीफा देंगे, उन्होंने कहा कि ये निर्णय प्रदेश संगठन ने लिया है।
डामोर के विधानसभा से इस्तीफे से मप्र विधानसभा में भाजपा का संख्या बल एक अंक कम हो जाएगा। वहीं इसके बाद झाबुआ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होगा।
ऐसे समझें कांग्रेस की राहत…
दरअसल अब तक राज्य सरकार को लेकर सामने आ रहे आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश के 230 विधायकों में से 114 कांग्रेस के जबकि 109 भाजपा के हैं, ऐसे में सरकार बनाने का जादुई आंकड़ा 116 है।
जिससे कांग्रेस के साथ ही भाजपा भी बहुत पास है, जहां कांग्रेस ने एक निर्दलीय विधायक को मंत्री बनाकर अपनी सरकार बना ली इसके साथ ही और निर्दलीय व बसपा और सपा विधायक भी उनके साथ आ गए।
वहीं सरकार गिरने की बातों के बीच अचानक डामोर के विधानसभा से इस्तीफे के चलते भाजपा के विधायकों की संख्या में कमी हो जाएगी।
जिसका सीधा लाभ कांग्रेस की प्रदेश सरकार को मिलेगा, क्योंकि प्रदेश सरकार बदलने के जादुई आंकड़े से भाजपा की दूरी कम होने के बजाय एकाएक बड़ गई है।
वहीं अब सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा उपचुनाव से पहले तक 115 का हो जाएगा, ऐसे में कांग्रेस के पास सीधे तौर पर अपने 114 विधायक हैं, वहीं 1 निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल को भी कांग्रेस ने मंत्री पद दे रखा है। जिसके चलते कांग्रेस का संख्या बल सीधे बिना दूसरी मदद लिए 115 पहुंच रहा है।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को ये फायदा हुआ है कि कांग्रेस के एक विधायक द्वारा पद छोड़ने के बाद वहां से कमलनाथ ने विधानसभा का चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्होंने जीत दर्ज कराके कांग्रेस की सीटें 114 पर बरकरार रखीं। वहीं सीएम कमलनाथ अगले सत्र में शपथ ले लेंगे।
उपचुनाव होने तक राहत, समर्थन की जरुरत नहीं
इस सीट पर उपचुनाव होने तक कांग्रेस के लिए राहत बनी रहेगी। ऐसे हालात में कांग्रेस सरकार को बाहर से किसी के समर्थन की जरूरत नहीं पड़ेगी।
वह 115 विधायकों के साथ बहुमत में होगी और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सुरक्षित बची रहेगी। ऐसे में भाजपा नेताओं के उस दावे को झटका लगने वाला है, जिनमें कांग्रेस सरकार के अल्पमत में होने का आरोप लगाया जा रहा था।
वहीं यह स्थिति कम से कम अगले छह महीने तक बनी रहनी है, जबकि झाबुआ सीट पर उपचुनाव होना है। ऐसे में कांग्रेस के पास 115 विधायकों के संख्याबल के साथ विधानसभा में पर्याप्त सीटें होंगी और उसे फिलहाल बाहर से किसी के समर्थन की जरूरत नहीं पड़ेगी।