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भाजपा की ओर से विदिशा और इंदौर से कौन? अटकलों में ये नाम सामने आते ही चौंक गई कांग्रेस..

   

दिग्विजय सिंह के सामने आने से…

वीआईपी सीटों से ये होंगे भाजपा के प्रत्याशी!

भोपाल। लोकसभा चुनावों से पहले मध्यप्रदेश की भाजपा में काफी कुछ अजब गजब सा चल रहा है। एक ओर जहां अब तक भोपाल में कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के सामने आने से यहां भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो गईं हैं।
वहीं अब तक इंदौर व विदिशा जैसे वीआइपी सीटों पर भी भाजपा अपने प्रत्याशी खड़े नहीं कर सकी है। जिसके कारण इन क्षेत्रों में अजीब स्थिति बनी हुई है।
ऐसे में भाजपा की इन वीआईपी सीटों को लेकर हर कोई केवल अटकलें ही लगा पा रहा है। जिसके कारण राज्य में भाजपा के कार्यकर्ता सहित उसके समर्थक तक कई तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
इस नाम ने चौंकाया…
इसी बीच चर्चाओं में एक ऐसा नाम सामने आ गया है जिसके बारे में सुनने के बाद कहा जा रहा है कि कांग्रेसियों तक को पसीना छूटना शुरू हो गया है। दरअसल रविवार को विदिशा, भोपाल या इंदौर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम को लेकर भी अटकलें चलती रहीं।
 
कहा जा रहा है कि वाराणासी से प्रियंका गांधी के मैदान में उतरने की अटकलों के बाद इस तरह की चर्चा शुरू हो गई है कि भााजपा मोदी के लिए एक सेफ सीट के तहत इन तीनों सीटों में से किसी एक सीट पर उनको खड़ा कर सकती है। वहीं पूर्व में ताई द्वारा इंदौर से मोदी के चुनाव लड़ने की बात कहे जाने से भी इस बात को बल मिला है।
 
वहीं जानकारों का मानना है कि इंदौर, भोपाल, गुना, विदिशा और सागर सीट पर अब तक फैसला नहीं होने को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं।
 

इधर, ताई ने बताई मन की बात…
वहीं दूसरी ओर भाजपा में इंदौर लोकसभा सीट को लेकर चल रही रस्साकसी के बीच लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन दिल्ली में अपनी बात रख रविवार को लौट आईं।
सूत्रों के मुताबिक महाजन ने अपने खास समर्थक का नाम आगे बढ़ाया है। साथ ही कैलाश विजयवर्गीय के नाम पर आपत्ति जताई है। वहीं, धार और रतलाम में टिकट घोषित होने से यहां के समीकरण भी बदले हैं। अब सभी की निगाहें दिल्ली के फैसले पर लगी हैं।
 
महाजन ने 75 के फॉर्मूले में अपना टिकट होल्ड होने पर चुनाव नहीं लडऩे की घोषणा की थी। अब उनकी राय को महत्त्व दिए जाने की संभावना है। 
महाजन ने विधानसभा चुनाव में भी परिवारवाद को लेकर कैलाश के बेटे आकाश विजयवर्गीय को टिकट देने का मुद्दा उठाया।
साथ ही अपने बेटे मंदार का नाम परिवारवाद को बढ़ावा न देने की नीति के कारण आगे नहीं बढ़ाने का हवाला हाईकमान को दिया।

पर्दे के पीछे के मजबूत दावेदार…
अब तक इंदौर से विधायक रमेश मेंदोला, मालिनी गौड़ और महू विधायक उषा ठाकुर प्रदेश में सरकार बनाने की उम्मीद में विधायकों को टिकट नहीं देने के दायरे में होने से मजबूत दावेदारों की रेस में शामिल नहीं थीं।
वरिष्ठता के आधार पर भी कई नेता जुगाड़ लगा रहे हैं। कैलाश को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं हो सका है, लेकिन पर्दे के पीछे वही सबसे मजबूत दावेदार बताए जा रहे हैं।
रतलाम से विधायक जीएस डामोर को टिकट देने से इंदौर के समीकरण बदले हैं।
भाजपा में पहले विधायकों को लोकसभा चुनाव नहीं लड़ाने की रणनीति बनी थी, लेकिन कांग्रेस के कब्जे वाली रतलाम सीट पर भाजपा ने सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत को विधानसभा चुनाव हराने वाले डामोर पर अब लोकसभा चुनाव में दांव लगाया है।
धार में वरिष्ठ नेता छतरसिंह दरबार की सालों बाद वापसी हुई है। ऐसे में इंदौर से किसी विधायक या फिर ऐसे वरिष्ठ नेता का नाम सामने आने की उम्मीद है, जिस ज्यादा आपत्ति ना आएं।

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