बीजिंग, प्रेट्र। रूस, भारत और चीन (आरआइसी) के विदेश मंत्रियों की बीते महीने बैठक नहीं होने का कारण तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा नहीं हैं। चीन ने सफाई देते हुए शुक्रवार को कहा कि समय की कमी के कारण विदेश मंत्री वांग यी इस बैठक में भाग लेने के लिए नई दिल्ली नहीं जा पाए थे। कुछ मीडिया रिपोर्टो में दावा किया गया था कि दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा के विरोध में चीन ने इस बैठक में भाग लेने से इन्कार कर दिया था।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने मीडिया रिपोर्टो को खारिज करते हुए कहा कि बीजिंग त्रिपक्षीय सहयोग प्रणाली को महत्व देता है जिसके तहत तीनों देशों के विदेश मंत्री सालाना बैठक कर द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मसलों पर चर्चा करते हैं। इस व्यवस्था के तहत विदेश मंत्रियों की बैठक और अन्य गतिविधियों में सक्रियता से चीन भाग लेता रहा है। तीनों देश इस समय विदेश मंत्रियों की अगली बैठक को लेक बात कर रहे हैं।
गौरतलब है कि निर्वासित धर्मगुरु की अरुणाचल यात्रा पर चीन ने कड़ी आपत्ति जताई थी। उसने भारत पर चीन के हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए दलाई लामा के इस्तेमाल का आरोप लगाया था। इस यात्रा के बाद उसने अरुणाचल के छह जगहों का चीनी नामकरण कर दिया था। बीजिंग इस प्रांत को दक्षिण तिब्बत कहता है। यह पूछे जाने पर कि चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से तिब्बती धर्मगुरु से अपने पूर्ववर्तियों की तरह मुलाकात नहीं करने का आग्रह किया है, जेंग ने कहा कि बीजिंग वैश्विक नेताओं के साथ दलाई लामा की मुलाकात पर आपत्ति जताता रहा है।
भारत के बिना ही आरसीईपी
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) पर भारत के बिना ही चीन आगे बढ़ सकता है। भारत के साथ इस संबंध में समझौता होने की बेहद क्षीण संभावना को देखते हुए सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इसके संकेत दिए हैं। आसियान सहित 16 देश इस समझौते से जुड़े हैं। मुक्त व्यापार के लिए बने इस गठजोड़ के सहारे चीन अपने उत्पादों का बाजार बढ़ाने में जुटा है।
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