आदिवासी संस्कृति का कोर्स तैयार करने के लिए समिति गठित।
भोपाल। लोकसभा चुनाव से पहले ज्यादा से ज्यादा वादे पूरे करने के चक्कर में सरकार चुनाव आयोग के निर्देश भी भूल गई। सरकार ने प्रदेश में आचार संहिता प्रभावी होने के बाद आदिवासी संस्कृति पर पाठ्यक्रम और कार्ययोजना तैयार करने के लिए समिति गठित कर दी। इस समिति में भाषाई जानकार समाज के लोगों को उपकृत किया गया है। समिति गठन का आदेश 11 मार्च को जनजातीय विभाग की वेबसाइट पर अपलोड हुआ है, जबकि आदेश पर आठ मार्च अंकित है।
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की जनता से वादे किए थे। इसी कड़ी में आदिवासी संस्कृति पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार करने का भी वादा किया गया था। सरकार की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव से पहले बगैर खर्च वाले सभी वादे पूरे हो जाएं। इसलिए आचार संहिता प्रभावी होने के बाद भी विभाग आदेश जारी कर रहे हैं। जनजातीय कार्य विभाग ने सोमवार को समिति गठन का आदेश जारी किया है। विभाग के अपर आयुक्त जीएस नेताम को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।
जबकि भाषाई जानकारों में डिंडौरी के रूप सिंह कुशराम, बैतूल के बसंत कवड़े, झाबुआ के मंगला गरवाल मेड़ा, आलीराजपुर के केशरसिंह जमरा, हरदा के मंशाराम अखंड को सदस्य बनाया गया है। जबकि वन्या के सहायक संपादक लक्ष्मीनारायण पयोधि को सदस्य सचिव बनाया गया है। यह समिति प्रस्तावित पाठ्यक्रम से संबंधित अनुशंसाएं पाठ्यक्रम समिति के सामने रखेगी। समिति को 10 दिन में कार्ययोजना प्रस्तुत करने को कहा गया है।
पाठ्यक्रम में क्या रहेगा
जनजातीय कार्य विभाग के स्कूलों में यह पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। इसके लिए समिति आदिवासी भाषा, बोली को पाठ्यक्रम में जगह देगी। इसमें आदिम जातियों के सामाजिक विषयों, कला, संस्कृति, ज्ञान, इतिहास और विरासत का अध्ययन, अनुसंधान एवं दस्तावेजीकरण किया जाएगा। यह पाठ्यक्रम कॉलेजों में भी पढ़ाया जाएगा।
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