पूनम पुरोहित मंथन न्यूज़ भोपाल –प्रदेश के अधिकारियों-कर्मचारियों को पदोन्नति के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त को तय कर दी है। इस कारण कर्मचारियों ने 2017 में फैसले की उम्मीद छोड़ दी है। बुधवार को प्रकरण की विशेष सुनवाई के दौरान बेंच ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया है। अब इसे त्रिपुरा-बिहार के पदोन्नति मामले की सुनवाई कर रही बेंच सुनेगी।
सरकार के वकीलों ने बुधवार को कोर्ट से सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाने का विशेष अनुरोध किया था। सपाक्स के वकीलों ने इसका विरोध किया, तो दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं। इसके बाद बेंच ने खुद को मामले से अलग करते हुए कहा कि चूंकि बेंच में शामिल एक न्यायाधीश ऐसे ही एक अन्य प्रकरण में फैसला सुना चुके हैं, इसलिए बेंच इस मामले को ट्रांसफर कर रही है। ताकि पूर्वाग्रह से निर्णय लेने के आरोप न लगें।
सपाक्स ने सरकार पर साधा निशाना
अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी संगठन सपाक्स ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है। संगठन ने कहा है कि सरकार इस मामले में निर्णय नहीं होने दे रही है। सपाक्स के प्रवक्ता शोएब खान का कहना है कि सरकार हर बार सुनवाई आगे बढ़वाने की कोशिश करती है। जिससे सुनवाई बाधित हो रही है।
खान ने कहा कि सरकार को कर्मचारियों की जरा भी परवाह नहीं है। दोनों विरोधी धड़ों ने सरकार के सामने सशर्त पदोन्नति की मांग रख दी है, लेकिन वह भी नहीं सुनी जा रही है।
खान ने आशंका जताई है कि मामले का फैसला आने तक एक लाख से ज्यादा कर्मचारी बगैर पदोन्नति रिटायर हो जाएंगे। वे कहते हैं कि ये सरकार की कूटनीतिक चाल है। इससे जहां वोट बैंक सुरक्षित है, वहीं पदोन्नति के बाद कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन देने पर आने वाले खर्च से भी बचत हो रही है।
फैसले में देरी करने करोड़ों खर्च कर रही सरकार
सपाक्स ने आरोप लगाया है कि सरकार इस फैसले को लंबित रखने के लिए वकीलों पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। वे हर बार मामले में नया पेंच फंसाकर सुनवाई आगे बढ़वा देते हैं।
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