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शिक्षा से लेकर पुलिस महकमे तक में आराम से जमे हैं फर्जीवाड़े के आरोपी

vyapam 2017218 234624 18 02 2017

मंथन न्यूज़ भोपाल –व्यापमं फर्जीवाड़े का मामला सिर्फ मुन्नाभाईयों तक सीमित नहीं है,बल्कि घोटाले के जरिए जिन-जिन लोगों ने सरकारी नौकरियां पाई हैं, ऐसे सभी आरोपी मजे से नौकरी कर रहे हैं। संविदा शिक्षक भर्ती परीक्षा, उप निरीक्षक भर्ती परीक्षा, आरक्षक भर्ती परीक्षा और परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा कर नौकरी पाने वालों की बर्खास्तगी अब तक नहीं हुई है।

पीजी पाठ्यक्रमों में भी गड़बड़ी
मेडिकल के पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए व्यापमं द्वारा प्री-पीजी टेस्ट भी लिया जाता है, इसमें भी 16 मेडिकल छात्रों ने गलत तरीके से परीक्षा पास की थी। इनके भी एडमिशन रद्द होने के बाद हाईकोर्ट ने निष्ठा अग्रवाल की पिटीशन पर व्यापमं को निर्देश दिए थे कि पुन: इन मामलों की जांच कर फैसला लिया जाए। लेकिन इस मामले को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
आरक्षक भर्ती परीक्षा 
पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में भी लगभग 60 ऐसे लोगों की पहचान हुई थी,जिनका चयन ओएमआर सीट में गड़बड़ी कर किया गया था। इनमें से बहुत सारे लोगों के खिलाफ स्पेशल टॉस्क फोर्स ने एफआईआर भी दर्ज की थी और उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था,इनकी परीक्षा भी व्यापमं ने अभी रद्द नहीं की है। व्यापमं के डायरेक्टर भास्कर लाक्षाकार का कहना है कि जांच में अभी एक महीना और लगेगा।
पुलिस उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा 
व्यापमं द्वारा ली गई परीक्षा के जरिए 52 से ज्यादा फर्जी अभ्यर्थी पुलिस में उपनिरीक्षक पद के लिए चयनित हुए, फर्जीवाड़े के इस खेल में एक और खेल हुआ। एसआई के लिए चयनित आवेदकों को फिजिकल टेस्ट से भी छूट दे दी गई। व्यापमं के डायरेक्टर लाक्षाकार का कहना है कि अक्टूबर-16 में इनकी परीक्षा रद्द कर दी गई थी, अब दोबारा जांच चल रही है, थोड़ा समय लगेगा।
संविदा शिक्षक भर्ती परीक्षा 
संविदा शिक्षक भर्ती परीक्षा मामले में दो एफआईआर दर्ज की गई, जिनमें 156 आरोपी बनाए गए थे। जिन्होंने पात्रता परीक्षा में चयनित होने के लिए फर्जीवाड़ा किया था। इस मामले में व्यापमं के डायरेक्टर लाक्षाकार कहते हैं कि आरोपियों के बयान हो गए हैं, अंतिम फैसला इसी सप्ताह जारी कर दिया जाएगा।
अब एमआईसी के साथ मिलकर करना होगा फैसला 
जानकारों के मानना है कि वर्ष 2009 तक पीएमटी से जो भी मुन्नाभाई चयनित हुए थे, वे सभी डॉक्टर बन गए होंगे। मेडिकल काउंसिल में भी रजिस्ट्रेशन करवा लिया होगा। अब उनकी परीक्षा, डिग्री रद्द करने के लिए व्यापमं, विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज को मेडिकल काउंसिल के साथ मिलकर कार्रवाई करना होगी।

                                       पूनम पुरोहित 

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