खबर ऐसे समय पर आई है, जब केंद्रीय कर्मचारी न्यूनतम वेतन में आठ हजार रुपए बढ़ाने को लेकर मांग कर रहे हैं। मौजूदा समय में उन्हें 18 हजार रुपए सैलरी के रूप में दिए जा रहे हैं।
लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार के करीब 50 लाख कर्मचारियों और लगभग इतने ही पेंशनभोगियों को नरेंद्र मोदी सरकार तोहफा दे सकती है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पीएम के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर मांगों पर अड़े इन कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के न्यूनतम वेतन में फरवरी से बढ़ोतरी कर सकती है। ओडिशा टीवी की रिपोर्ट में नेशनल ज्वॉइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के मुखिया शिव गोपाल मिश्रा के हवाले से कहा गया, “केंद्रीय कर्मचारियों की तनख्वाह में बढ़ोतरी को लेकर मोदी सरकार गंभीर है।”
बता दें कि यह खबर ऐसे समय पर आई है, जब केंद्रीय कर्मचारी न्यूनतम वेतन में आठ हजार रुपए बढ़ाने को लेकर मांग कर रहे हैं। मौजूदा समय में उन्हें 18 हजार रुपए सैलरी के रूप में दिए जा रहे हैं, जबकि इस आठ हजार की वृद्धि के बाद उनका न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए तक हो सकता है।
ओडिशा टीवी की रिपोर्ट में वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ के हवाले से बताया गया, “यह मांगें स्वीकारने का मसला नहीं है, क्योंकि इससे महंगाई दर और अन्य चीजों पर असर पड़ेगा। मोदी सरकार इस बाबत केंद्रीय कर्मचारियों की मांगों पर विचार कर रही है। राज्यों के सरकारी खजाने पर इससे भारी बोझ पड़ेगा, लिहाजा इस मसले पर लोगों को धैर्य रखना चाहिए।”
जानकारों के मुताबिक, चूंकि 2019 के आम चुनाव नजदीक हैं, लिहाजा सरकार किसी भी सूरत में केंद्रीय कर्मचारियों को नाराज नहीं करेगी। वजह- सरकारी कर्मचारियों की बड़ी संख्या है, जो कि आगामी चुनाव के लिहाज से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पक्ष या फिर विपक्ष में बड़ी भूमिका निभा सकती है।
हालांकि, अभी तक इस संबंध में किसी प्रकार का आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है। इसी बीच, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पी.राधाकृष्णन दो बार दावा कर चुके हैं कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों की विभिन्न मांगों को स्वीकारने पर विचार नहीं कर रही है।