👉किया 6 घण्टे मौन सत्याग्रह
शिवपुरी।
देश के बजट में जिस गरीब की खुशहाली की बात कहकर मेज थपथपाई जा रही हैं वहीं अति गरीब आदिवासी जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर दहाड़ मारकर क्यों रो रहे हैं, मुंह पर लाल कपड़ा और हाथ में मुख्यमन्त्री सुनो पुकार की तख्ती लिए सुबह से कड़कड़ाती ठंड में बैठे ये सहरिया आदिवासी ग्राम पंचायत खुटेला के मोहमदपुर के वे आदिवासी हैं जो पिछले दो बर्षों पूर्व ही सहरिया क्रांति के प्रयासों से दबंग बदमाश के यहां से बंधुआ मजदूरी के जाल से मुक्त होकर आजाद आकाश में सांस लेना चाह रहे हैं।
इन आदिवासियों को बाकायदा शासन ने भूमि पर पट्टे दिए हैं और कागजों में ये भूमि स्वामी कहलाते हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है, ये खुद तो संघर्ष कर दबंग से मुक्त हो गए लेकिन इनकी जमीनों को आज भी वही बाहुबली बदमाश जोत रहा है और खुद की समृद्धि की इबारत लिख रहा है। आज सभी आदिवासियों ने मुंह पर लाल पट्टी बांधकर कलेक्टोरेट में ही धरना दिया स्वयं की जमीन को दबंग से मुक्त कराए जाने की माँग की।
मिली जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत खुटेला के ग्राम मोहम्मदपुर निवासी जिन किसानों ने आज कलेक्टोरेट आकर धरना प्रदर्शन एवं ज्ञापन दिया वे अपनी ही जमीन पर मजदूर बनकर कार्य कर रहे थे। इन आदिवासियों को पता ही नहीं था कि वे जिस जमीन पर मजदूरी कर रहे हैं उस जमीन के असली मालिक वे ही हैं। यहाँ नाममात्र की दिहाड़ी मजदूरी में काम कराया जाता था और उन्हें तरह तरह की यातनायें दबंग और बाहुबलियों द्वारा दी जाती थीं। सभी आदिवासियों ने एकजुट होकर सहरिया क्रांति का दामन थामा और उन्हें सालों से चली आ रही इस दासता से मुक्ति मिली। इस गाँव के गरीब आदिवासियों को बंधुआ मजदूरी से तो मुक्ति मिल गई मगर उन्हें अभी तक उस जमीन पर हक नहीं मिला जिस जमीन के वे असली मालिक हैं। आज भी इन गरीब आदिवासियों की जमीन पर क्षेत्र के दबंगों का कब्जा है और वे लाखों करोड़ों की फसल हर वर्ष इन आदिवासियों की जमीन से ले रहे हैं।
दबंगों के यहां से बंधुओं मजदूरी के चंगुल से मुक्त हुए आदिवासी अपनी जीविका चलाने के लिए वर्ष 2003 से वन भूमि की जमीन पर खेती कर रहे हैं जिस पर उनका कब्जा है। इस जमीन पर भी इन दबंग बाहुबलियों की वक्रदृष्टि आ गई और वे लगातार वन विभाग से मिलकर इन्हें इस भूमि से बेदखल करने की साजिश रच रहे हैं। आज कलेक्टोरेट पहुंचे आदिवासियों ने बताया कि बीते रोज एक फॉरेस्ट गार्ड ने कहा कि हमारे पास ऊपर से आदेश आया है तुमने यदि इस जमीन को खाली नहीं किया तो हम तुम्हारी टपरियाँ जला देंगे और तुम्हें यहाँ से भगा देंगे। असुरक्षा की भावना से घिरे डरे सहमे सभी आदिवासी शनिवार की सुबह ही कलेक्टोरेट आ पहुंचे और उन्होंने मुंह पर लाल पट्टी पर कलेक्टोरेट में धरना प्रदर्शन के साथ साथ दहाड़े मारकर रोना शुरू कर दिया। गरीब आदिवासियों की इस करुण पुकार पर बाहर आए डिप्टी कलेक्टर टी.सी. ठाकुर ने इनका आवेदन दिया। पीडि़त आदिवासिायों का कहना है कि हम हमारी जमीन को वापस लेकर रहेेंगे और इसके लिए आखिरी सांस तक लड़ते रहेंगे। आदिवासी अपने हाथों में तख्तियां भी लिए हुए थे जिनके माध्यम से उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी न्याय की गुहार लगाई।
मुंह पर लाल कपड़ा बांधकर आये आदिवासियों ने मांगे अपने हक*
*मुंह पर लाल कपड़ा बांधकर आये आदिवासियों ने मांगे अपने हक*