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निकाय चुनाव: महापौर चुनाव के अध्‍यादेश को लेकर BJP-कांग्रेस में घमासान, राज्‍यपाल ले रहे हैं एक्‍सपर्ट की राय

मध्‍य प्रदेश में महापौर के चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से कराए जाने को लेकर कमलनाथ सरकार और राज्यपाल लालजी के बीच घमासान मचा हुआ है. जबकि कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्‍खा द्वारा राज्यपाल को दिए सुझाव ने मामला बिगाड़ दिया है. फिलहाल राज्‍यपाल इस मामले में एक्‍सपर्ट की सलाह ले रहे हैं, तो सूबे के पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नगरी निकाय अध्यादेश को रद्द करने की मांग की.

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भोपाल. मध्‍य प्रदेश में महापौर के चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से कराए जाने के सरकार के फैसले को लेकर सियासी पारा चढ़ गया है. इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्‍खा (Congress Rajya Sabha MP Vivek Tankha) द्वारा राज्यपाल लालजी टंडन (Governor Lalji Tandon) को दिए सुझाव ने मामला गरमा दिया है. इस मामले में सांसद तन्‍खा ने अपने ट्वीट में राज्यपाल को कमलनाथ सरकार की अनुशंसा पर फैसला लेने को कहा था. साथ ही उन्‍होंने राज्यपाल को विपक्ष की बात ना सुनने और सरकार के पक्ष में मत देने की सलाह दी थी. तन्‍खा का मामला अभी थमा नहीं है कि कमलनाथ सरकार के वन मंत्री उमंग सिंगार(Minister Umang Singar) ने भी राज्यपाल को सलाह दी है कि वह सरकार की अनुशंसा पर फैसला करें. जबकि भाजपा ने इसका विरोध किया है.
खफा होने के बाद ये काम कर रहे हैं राज्‍यपाल
कांग्रेस सांसद विवेक तन्‍खा की सलाह से राज्यपाल लालजी टंडन खफा हो गए हैं और इस पूरे मामले पर उन्‍होंने अब एक्सपर्ट से सलाह लेना शुरू कर दी है. राजभवन से मिले सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल अपने अधिकारों को लेकर सरकार के भेजे गए अध्यादेश पर फैसला लेने से पहले एक्सपर्ट की राय ले रहे हैं.

राज्यपाल लालजी टंडन और सीएम कमलनाथ.
शिवराज ने राज्‍यपाल से की मुलाकात
राज्‍यपाल और कांग्रेस सरकार के बीच टकराव के दरम्‍यान बीजेपी के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष और मध्‍य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज अचानक राजभवन पहुंचे और राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर सरकार के द्वारा भेजे गए नगरी निकाय एक अध्यादेश को रद्द करने की मांग की. शिवराज ने इस अध्यादेश के मंजूर होने पर प्रदेश में पार्षदों की खरीद-फरोख्त बढ़ने की आशंका जताई है. साथ ही उन्‍होंने ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी अध्यादेश को वापस लिए जाने की मांग रखी है. जबकि शिवराज ने राज्यपाल से मुलाकात कर इस मामले में जल्द फैसला लेने का अनुरोध किया. वहीं उन्‍होंने भोपाल शहर में 2 नगर निगमों के गठन पर भी आपत्ति जताते हुए राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की है.

सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने साफ कहा है कि सरकार की मंशा पर चुनाव हुए तो प्रदेश में भ्रष्टाचार बढ़ेगा. हालांकि अब पूरा मामला राज्यपाल के पाले में है और वह चाहें तो अध्यादेश पर आपत्ति जताते हुए सरकार को भेजकर दोबारा विचार के लिए कह सकते हैं. आपको बता दें कि
कमलनाथ सरकार ने कैबिनेट से मंजूरी के बाद दो अध्यादेश राज्यपाल को अंतिम मंजूरी के लिए भेजे थे. इनमें से एक पार्षद प्रत्याशी के हलफनामे और दूसरा मेयर के चुनाव से जुड़ा था. राज्यपाल लालजी टंडन ने पार्षद प्रत्याशी के हलफनामे से जुड़े अध्यादेश को मंजूरी दे दी है, लेकिन मेयर के अप्रत्यक्ष चुनाव से जुड़े अध्यादेश को फिलहाल रोक दिया है

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