मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में बनीं कांग्रेस की सरकार एक साल पूरे करने जा रही है। पर जिस दिन से यह सरकार बनी है उस दिन से इसके गिर जाने की भविष्यवाणी की जा रही है। ऐसी भविष्यवाणी कर्नाटक के बारे में की जाती थी और अंततः करीब 15 महीने चलने के बाद वहां की साझा सरकार गिर गई है। कर्नाटक और मध्य प्रदेश में फर्क यह है कि मध्य प्रदेश में अकेले कांग्रेस की सरकार है। 230 सदस्यों की विधानसभा में उसके अपने 114 विधायक हैं। पर भाजपा भी ज्यादा पीछे नहीं है। उसके 109 विधायक जीते थे और अभी 108 विधायक हैं। उसकी जीती झाबुआ की सीट खाली है, जहां उपचुनाव हो रहा है। इस उपचुनाव के नतीजे को राज्य सरकार की सेहत के लिए बहुत अहम माना जा रहा है।
भाजपा के महासचिव और राज्य के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि भाजपा झाबुआ की सीट जीतेगी तो राज्य की कांग्रेस सरकार गिर जाएगी। उन्होंने पहले कहा था कि कर्नाटक के बाद ऑपरेशन लोटस मध्य प्रदेश में होगा। अभी तक वैसे इस ऑपेरशन का ज्यादा असर नहीं दिख रहा है पर कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया को कमजोर कड़ी माना जा रहा है। बहरहाल, झाबुआ की सीट अगर कांग्रेस जीतती है तो उसके विधायकों की संख्या 115 हो जाएगी। इस जीत को सरकार के कामकाज पर लोगों की सहमति भी माना जाएगा। इसलिए कांग्रेस ने कांतिलाल भूरिया जैसे दिग्गज को उतारा गया है। ध्यान रहे 2014 के लोकसभा चुनाव कुछ ही दिन झाबुआ रतलाम की लोकसभा सीट का उपचुनाव भी कांतिलाल भूरिया ने ही कांग्रेस के लिए जीता था। पर अगर कांग्रेस नहीं जीतती है तो भाजपा का ऑपरेशन लोटस तेज होगा। तब पार्टी के अंदर की फूट भी बढ़ेगी।
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