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आचार संहिता से पहले अफसर करा रहे टेंडर, यांत्रिकी शाखा में देर रात तक चल रहा काम

टेंडर तो हो जाएंगे पर शुरू नहीं हो पाएंगे जनता के काम भोपाल मंथन न्युज प्रतिनिधि। 1 अप्रैल को नगर निगम का बजट जारी हुआ, लेकिन दो महीने तक टेंडर नहीं किए गए। अब जैसे ही आचार संहिता लगने वाली है निगम में टेंडरो की बाढ़ आ गई है। पार्षद हों या एमआईसी मेंबर, विधायक हों या मंत्री। सभी अपने अपने क्षेत्र में विकास कार्यों के टेंडर लगवाने में व्यस्त हो गए
मंथन न्युज –
 1.अप्रैल को नगर निगम का बजट जारी हुआ, लेकिन दो महीने तक टेंडर ही नहीं किए गए। अब जैसे ही विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने वाली है निगम में टेंडरों की बाढ़ आ गई है। पार्षद हो या एमआईसी मेंबर, विधायक हो या मंत्री। सभी अपने-अपने क्षेत्र में विकास कार्यों के टेंडर लगवाने में व्यस्त हो गए हैं। हालात ये है कि सालभर में जितने टेंडर नहीं होते उतने दो माह में कर दिए गए।
नगर निगम के गोविंदपुरा में संचालित यांत्रिकी शाखा आमतौर पर शाम को 6-7 बजे के बाद बंद हो जाता है। लेकिन, इन दिनों देर रात तक चहल पहल बनी रहती है। अधीक्षण यंत्री, नगरयंत्री, उपनगर यंत्री सहित इंजीनियर टेंडर लगाने और खोलने में व्यस्त हैं। यांत्रिकी शाखा में सुबह 10.30 बजे से रात के 11 बजे तक यह सिलसिला चल रहा है। एक स्थानीय मंत्री ने तो नगर निगम के स्टॉफ को टेंडर लगाने के लिए अपने बंगले पर दो दिन के लिए तैनात कर दिया था। ताकि, कहीं प्रक्रिया में गड़बड़ी के कारण बाधा न हो।
निगम अफसरों पर नेताओं का दबाव इतना है कि उन्हें किसी भी हालात में आचार संहिता से पहले अधिक से अधिक कामों का भूमिपूजन करना है। काम की अधिकता से गड़बड़ियां भी हो रही हैं। बता दें कि सीएम इंफ्रा फेज टू के टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ियां सामने आ चुकी हैं। जिस पर निगम प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर पाया।

200 से अधिक कामों में आचार संहिता का साया

टेंडर की प्रोसेस 21 दिनों तक होती है। नगर निगम के 200 से अधिक टेंडरों की तारीख 11-12 अक्टूबर को खत्म हो रही है। यानी इसके बाद भी इन्हें खोला जा सकेगा। ऐसे में यदि इस बीच आचार संहिता लग गई तो इनके वर्कआर्डर जारी नहीं हो पाएंगे। इससे काम चालू नहीं हो पाएंगे।
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छह माह बाद विधायक निधि की आई याद
वित्तीय वर्ष अप्रैल से चालू हो जाता है, लेकिन 6 माह तक विधायक निधि खर्च नहीं की गई। अब एक विधायक ने आचार संहिता से ठीक पहले अपने क्षेत्र में विधायक निधि के कामों की सूची निगम अधिकारियों को थमा दी। मुश्किल ये है कि यदि 5 अक्टूबर तक आचार संहिता लागू हो गई और टेंडर हो भी गए तो उनके वर्कआर्डर जारी नहीं हो पाएंगे।
ऑफलाइन टेंडर की तैयारी
बताया जा रहा है कि अब नेताओं के दबाव के कारण निगम अधिकारी अल्प कालिक टेंडर भी लगा रहे हैं। ताकि आचार संहिता से पहले इन्हें खोलकर वर्कआर्डर जारी किया जा सके। इसके बाद भूमिपूजन हो सके।

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