Fight Against COVID-19: यूपी सरकार सभी विधायकों की सैलरी में कटौती और विधायक निधि को दो साल के लिए सस्पेंड करेगी. इस बाबत जल्द ही अध्यादेश लाया जाएगा.
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लखनऊ. केंद्र सरकार की तर्ज पर अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) सभी विधायकों की 30 प्रतिशत सैलरी कम करने की तैयारी में है. इतना ही नहीं सभी विधायकों की निधि (MLA Fund) 2 साल के लिये सस्पेंड की जाएगी. दो साल तक विधायक निधि कोविड-19 (COVID-19) की महामारी के लिए उपयोग की जाएगी. योगी सरकार इसके लिए जल्द ही अध्यादेश लाएगी.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए सांसद निधि के फंड को दो साल तक के लिए स्थगित कर दिया है. इसके साथ ही कोरोना से निपटने के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सांसदों के वेतन में तीस फीसदी कटौती का भी फैसला लिया है. यह फैसला 1 अप्रैल 2020 से लागू माना जाएगा. इस फैसले के तत्काल बाद ही राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपालों ने भी स्वेच्छा से साल भर तक तीस फीसद कम वेतन लेने का ऐलान किया है. केंद्र सरकार के इस फैसले का सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्वागत किया है. यूपी सरकार भी सभी विधायकों की सैलरी में कटौती और विधायक निधि को दो साल के लिए सस्पेंड करेगी. केंद्र के फैसले की कॉपी मिलने के बाद यूपी सरकार अध्यादेश के जरिए इसे लागू करेगी.
सपा का समर्थन
सरकार के इस फैसले पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया भी आनी शुरू हो गई है. समाजवादी पार्टी ने इसका समर्थन किया है, लेकिन साथ ही कहा है कि सरकार को एक-एक पैसे का हिसाब भी देना होगा. समाजवादी पार्टी के अनुराग भदौरिया ने कहा कि जितनी सैलरी काटनी हो सरकार काट सकती है. संकट की इस घड़ी में सभी साथ हैं, लेकिन सरकार को जनता को हिसाब भी देना होगा. सरकार को ये भी बताना होगा कि पैसों का कहां और कैसे इस्तेमाल किया गया.
बीजेपी एमएलसी पहले ही कर चुके हैं ऐलान
कोरोना के खिलाफ जंग में प्रधानमंत्री के आह्वान का असर उत्तर प्रदेश में भी दिखने लगा है. बीजेपी के महामंत्री और एमएलसी विजय बहादुर पाठक ने दो साल की विधायक निधि की पांच करोड़ की राशि मुख्यमंत्री को सौंपने का ऐलान किया है. बीजेपी नेता ने इसकी जानकारी ट्वीट कर के दी है. न्यूज़ 18 से बातचीत में विजय बहादुर पाठक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से प्रेरणा लेते हुए वे अपने वेतन में भी तीस फीसदी कटौती कराएंगे. इसके लिए वे सभापति विधानपरिषद को चिट्ठी लिखकर अनुरोध करेंगे.
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