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घुसपैठ समस्या चिंतन एवं निराकरण विषय पर गोष्ठी सम्पन्न।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद व प्रज्ञा प्रवाह के संयुक्त तत्वाधान में शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के विवेकानंद सभागार में घुसपैठ समस्या चिंतन व निराकरण विषय पर गोष्ठी आयोजित की गई।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्यभारत प्रान्त के सह बौद्धिक प्रमुख खगेन्द्र जी ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा की घुसपैठ आज देश के समक्ष बड़ी समस्या है,हमारी परंपरा अतिथि देवो भवः की है पर अगर वही अतिथि हमारे घर पर कब्जा कर ले और हमे बेदखल कर दे तो ऐसे अतिथियों को क्या हमें स्वीकार करना चाहिए,काश्मीर में क्या हुआ, जिन रोहिंग्या को सारा विश्व  शरण नही दे रहा है जिनके कारनामो की वजह से उन्हें दुत्कार रहा है उनको शरण देने के लिए भारत मे एक वर्ग तैयार हो रहा है,इस समय देशभक्त व देश विरोधी दो प्रकार का बर्ग भारत मे  है,एक वो ऐसे ही लोगो को इकट्ठा कर वोट बैंक मानकर भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे खुले आम लगा रहा है तो दूसरा वह जो देश को आगे ले जाने की बात कर रहा है।1971 में पाकिस्तान आर्मी के द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठियों को भगाया गया जिसमें से 3 लाख असम,6 लाख मेघालय,14 लाख त्रिपुरा,व 74 लाख पश्चिम बंगाल में यानी की कुल 98 लाख लोग शरणार्थी बन गये।आज यही 3 लाख अकेले आसाम में 40 लाख हो चुके अन्य जगह की कल्पना आप स्वतः कर सकते है।यह घोषित तथ्य सामने आया है आसाम में होने वाली समस्त आपराधिक घटनाओं में इन्ही घुसपैठियों का हाथ रहा है।1983 में इसी घुसपैठ को लेकर आंसू और असम गण परिषद द्वारा उग्र आंदोलन चलाया गया तब प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी जी ने पहल कर समझौता किया जिसे असम समझौता कहा जाता है जिसके अनुसार 24 मार्च 1971 के पहले आये हुए नागरिकों को भारतीय व इसके बाद आये हुए बांग्लादेशी लोगो को घुसपैठिया मान कर बाहर किया जायेगा।लेकिन ये पूरी तरह से लागू नही हो सका।2005 में मनमोहन सिंह जी ने भी इस दिशा में प्रयत्न किए पर असफल हुए।असम की एक एन जी ओ केद्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी निगरानी में राज्य व केंद्र सरकार को जिम्मेदारी सौंपी।कई हजार कर्मचारी इसमे लगे तब एन आर सी रजिस्टर बनना प्रारम्भ हुआ।फरवरी 2015 के बाद इसकी प्रक्रिया प्रारम्भ हुई,3 करोड़ 29 लाख 91 हजार 385 लोगों ने एन आर सी आवेदन भरकर भारतीय नागरिक होने का दावा पेश किया।जिसमें 14 प्रकार की औपचारिकतायें पेश करने के लिए कहा गया,उसमे से 40 लाख घुसपैठी के रूप में सामने आये, अभी भी प्रक्रिया सितम्बर तक जारी है।पर केवल सरकार की हर जिम्मेदारी नही होती राष्ट्रभक्ति का बोध नागरिकों को भी होना चाहिए।ये देश संक्रमण काल से निकलकर गौरवशाली भारत,शसक्त भारत,सम्पन्न भारत,समरस भारत  बनने की और बढ़ रहा है हम भी अपना योगदान सुनिश्चित करे।
इस अवसर पर बोलते हुए बाबा रामदेव जी के शिष्य स्वामी सूर्यदेव जी महाराज ने कहा कि देश को बनाने संवारने सुधारने की  जिम्मेदारी सभी की है घुसपैठ विकराल समस्या बन चुकी है,सभी को एकजुटता के साथ इस समस्या को समाप्त करने का संकल्प लेना चाहिए।भूमिका डीपी सी शिरोमणि जी दुबे ने रखी,पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी के निधन पर दो मिनट का मौन व चित्र के आगे पुष्पाञ्जलि अर्पित सभी के द्वारा दी गयी।उपस्थित बहनों ने भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के सेनिको के ललाट पर तिलक लगा उनका अभिनंदन किया।सबसे पहले गीत ज्योति मजेजी ने लिया,आभार प्रदर्शन मुकेश मिश्रा व संचालन आशुतोष शर्मा ने किया।वंदे मातरम के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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