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अपने माता पिता के साथ कायस्थ समाज का नाम रोशन करती नारी शक्ति की मिसाल अपूर्वा श्रीवास्तव।

मध्य प्रदेश के छोटे से जिले शिवपुरी मैं रहने वाली कवियत्री अपूर्वा श्रीवास्तव ने जब कवियत्री के पहली बार मचं चली तो बेटी बोझ नहीं होती है कविता से शिवपुरी के लोगों का मन मोह लिया उसके बाद अपूर्वा जी को अनेकों सम्मान प्राप्त हुए वर्तमान मे अपूर्वा श्रीवास्तव शिवपुरी से बी. कॉम द्वितीय वर्ष की छात्रा । कई क्षेत्रों में झंडे लहराती आयी है । नारी शक्ति की मिसाल , आॅल राउंडर अचीवर्स के रूप में जेसीआई अवार्ड से सम्मानित । कई बड़े मंचों पर काव्य पाठ ,ओपन माइक , रेडियो व कई पत्रिकाओं में अपनी कलम का जादू बिखैरती रही है । छोटी सी उम्र में ही समाज सेवा में हर संभव प्रयास करने वाली होनहार छात्रा बहुंमुखी प्रतिभा की धनी अपूर्वा कई वैल्यूएब्लस प्राप्त करती रही है और इसी के साथ क्लासिकल डांसर ,स्पोर्ट्स में अब्बल,ड्राइंग ,काव्य पाठ, कैंसर अवेयरनेस, सामज सेवा में हर संभव प्रयास करती रही है और इन सभी गतिविधियों में वैल्यूएब्ल्स प्राप्त है। आज कवयित्री ने मजदूरो के हौसला के बारे मे बताया है

लॉकडाउन पर लिखी 🙏-: मजदूर :-🙏 के ऊपर कविता

कितनी रातें ही उसने , ऐसे बिता दी
पैदल चल भूख प्यास , सब मिटा दी

सफर कठिन था , मगर हौसला मजबूत था
पैसा नहीं था , मगर लौटना जरूर था

पैरों में छाले थे , कंधो पर बोझ
बच्चे भूखे प्यासे थे , तड़पे थे रोज़

तपता भूभाग रहा , मरता वहां इंसान था
लकीरें आड़ी टेढ़ी , मजदूरी का निशान था

अख़बार पढ़ते , तो उन्हीं का नाम था
खबर देखते , तो उन्हीं का ज्ञान था

बच्चे – बूढ़े – लंगड़े , बस आगे बढ़ते जाते
इंसान हैरानी में , बस यहीं देखते जाते।

कवयित्री -अपूर्वा श्रीवास्तव

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