सिंधिया ने एक के बाद एक ट्वीट करके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्रीजी आप शिला पट्टिका से मेरा नाम हटवा सकते हैं, निर्वाचित विधायक को मंच से धक्के मारकर हटा सकते हैं, लेकिन जनता के दिलों से आप हमें और हमारे विकास कार्यों को कैसे निकालेंगे। सिंधिया ने यह भी कहा कि आपकी घबराहट और कुर्सी छूटने का डर साफ दिखाई दे रहा है।
क्या-क्या लिखा ट्वीट में
-सिंधिया ने एक के बाद एक 6-7 ट्वीट कर राज्य सरकार पर जमकर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उपरोक्त घटना में निर्धारित प्रोटोकॉल और नियमों का सीधा-सीधा उल्लंघन है। गुना-शिवपुरी की जनता का जिम्मेदार जनप्रतिनिधि होने के नाते यह मेरे विशेष अधिकार का भी हनन है। इसलिए मैं शिवराज सिंह चौहान, राज्य सरकार और जिला प्रशासन के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने जा रहा हूं।
-शिवराज सरकार और इनकी पूरी प्रशासनिक मशीनरी ने जिस तरह से प्रोटोकॉल को धता बताते हुए निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को अपमानित किया और देवास-शिवपुरी राष्ट्रीय राजमार्ग का शिलान्यास किया, वो बेहद शर्मनाक है।
-यही नहीं, एक निर्वाचित विधायक महेंद्र सिंह सिसोदिया को धक्के मार कर मंच से उतार दिया गया।
-गुना में 23 जुलाई को मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री की मौजूदगी में राष्ट्रीय राजमार्ग का शिलान्यास कार्यक्रम हुआ, लेकिन क्षेत्र का निर्वाचित सांसद होने के बावजूद मुझे इस कार्यक्रम से दूर रखा गया। आमंत्रण-पत्र में नाम तक नहीं लिखा गया।
-तत्कालीन यूपीए सरकार के समय ग्वालियर से देवास तक के आगरा-मुंबई फोर लेन में परिवर्तित करने की 3500 करोड़ की योजना स्वीकृत हुई थी। 27 जून 2012 को तत्कालीन भूतल परिवहन राज्यमंत्री जितिन प्रसाद एवं सांसद सज्जन सिंह वर्मा की उपस्थिति में इसका भूमिपूजन कार्यक्रम संपन्न हो चुका है।
-सिंधिया ने अगले ट्वीट में यह भी लिखा कि सत्ता के अहंकार और मद में पूरी तरह से चूर मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार किस तरह लोकतंत्र और जनभावनाओं का गला घोंट रही है, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण गुना में देखने को मिला है।
यह है मामला
गुना में आयोजित एक कार्यक्रम में कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को नहीं बुलाया गया था। इसके साथ ही आमंत्रण पत्र और शिलापट्टिका से भी सिंधिया का नाम गायब था।
-कांग्रेस ने इसका विरोध किया था।
-सिंधिया के समर्थक विधायक महेंद्र सिंह सिसौदिया ने इतना विरोध किया कि वे कार्यक्रम के दौरान मंच पर चढ़ कर नारेबाजी करने लगे। इसके बाद मुख्यमंत्री के सुरक्षाकर्मियों ने विधायक को धक्के मारकर मंच से नीचे उतार दिया था।
क्या कहते हैं सिसौदिया
कांग्रेस विधायक सिसौदिया कहते हैं कि गुना कलेक्टर राज्य सरकार की कठपुतली हैं। इन साजिशों के पीछा का मुखौटा मुख्यमंत्री और प्रभारी मंत्री जयभान सिंह पवैया हैं। जिले के कलेक्टर विजय दत्ता ने इस कार्यक्रम की सूचना सिंधिया को नहीं दी।
-सिसौदिया ने बताया कि उन्होंने सिंधिया साहब से चर्चा की है। यह विशेषाधिकार हनन का मामला है, जो अब संसद में गूंज सकता है।
-हालांकि कलेक्टर विजय दत्ता कहते हैं कि जब कार्यक्रम तय हो रहा था उस समय फोन पर बात करने का प्रयास किया, लेकिन सिंधिया अविश्वास प्रस्ताव में व्यस्त रहे। उनके निज सचिव ने कहा था कि वे संसद में व्यस्तता के कारण गुना के कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकेंगे।
क्या है विशेषाधिकार हनन
भारत में विधानसभा, विधानपरिषद और संसद के सदस्यों के पास विशेष अधिकार दिए गए हैं। जिससे वे प्रभावी ढंग से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सके। जब सदन में इनके अधिकारों के खिलाफ कोई कार्य होता है तो उसे विशेषाधिकार हनन कहा जाता है। इसकी लिखित शिकायत स्पीकर को भेजी जाती है। जिसे विशेषाधिकार हनन नोटिस कहा जाता है।
ऐसे लाया जाता है यह
स्पीकर को भेजे नोटिस के बाद मंजूरी मिलने पर सदन में यह प्रस्ताव रखा जा सकता है। प्रस्ताव संसद के किसी सदस्य की ओर से पेश किया जाता है। जब सदस्य को ऐसा लगता है कि सदन में झूठे तथ्य पेश कर विशेषाधिकार का उल्लंघन किया गया अथवा किया जा रहा है, तब इसे लाया जा सकता है।