मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार आपातकाल के दौरान जेलो में बंद रहे मीसाबंदियों को मिलने वाली सम्मान निधि संबंधी कानून को खत्म कर सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में होने जा रही कैबिनेट बैठक में सामान्य प्रसाशन विभाग निरसन विधेयक का प्रस्ताव रख सकता है।
मध्यप्रदेश में मीसाबंदियों को 25 हजार रूपए की सम्मान राशी प्रदेश सरकार की तरफ से दी जा रही थी। जिसे जनवरी 2019 में छह माह पहले काँग्रेस सरकार बनने के बाद अस्थाई तौर पर रोक दिया गया था। जिसको लेकर प्रदेश की काँग्रेस सरकार का तर्क था कि मीसाबंदी के तौर पर सम्मान राशी (पेंशन) पाने वालों की जाँच की जाएगी जिसके बाद ही इसे फिर से शुरू किया जाएगा।
प्रदेश सरकार के आदेश के बाद सामान्य प्रशासन विभाग सामान्य प्रशासन विभाग ने पेंशन पर अस्थाई रोक लगाते हुए इसकी वजह पेंशन पाने वालों का भौतिक सत्यापन और पेंशन वितरण की प्रकिया को अधिक पारदर्शी बनाना बताया। इसके लिए सीएजी की रिपोर्ट को आधार बनाया गया। जिसके बाद प्रदेश में मीसाबंदियों के संगठन मध्यप्रदेश लोकतंत्र सेनानी संघ ने विरोध किया था।
मध्यप्रदेश में जनवरी 2019 से पहले लगभग दो हजार से मीसाबंदीयों को 25 हजार रूपए की मासिक पेंशन के तौर पर सम्मान निधि दी जा रही थी। बीजेपी की शिवराज सरकार ने सन 2008 में 3000 और 6000 सम्मान राशी देने का प्रवधान किया था। बाद में इसे बढाकर 10 हजार कर दिया गया। वही सन् 2017 में मीसाबंदियों की माँग पर शिवराज सरकार ने इस एक बार फिर से बढाकर 25 हजार रूपए मासिक कर दिया। मीसाबंदियों को मिलने वाली सम्मान राशी का सालाना 75 करोड़ का खर्च सरकार पर आ रहा था।
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