ग्वालियर से चुनाव लड़ेंगी प्रियदर्शिनी, गुना से लोकसभा के मैदान में होंगे ज्योतिरादित्य, जल्द होगा ऐलान
सीएम नाथ भी दे चुके हैं संकेत
इससे पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ से हुई खास बातचीत में कह चुके हैं कि, ‘सिंधिया और उनकी पत्नी तय कर लें कि, उनमें से कौन ग्वालियर से चुनाव लड़ना चाहेगा और कौन गुना से, वे दोनो ही पार्टी के जिम्मेदार कार्यकर्ता हैं और लंबे समय से इन इलाकों में सक्रीयता रखते आए हैं। इसलिए पार्टी स्तर पर भी ज्योतिरादित्य और प्रियदर्शिनी ही सबसे बेहतर विकल्प होंगे। नाथ ने कहा कि, अब देखना ये होगा कि, पार्टी आलाकमान का उन दोनो के लिए क्या निर्देश होगा।’ सीएम कमलनाथ और जिला कांग्रेस की सेहमति मिलने के बाद ये बात तो स्पष्ट है कि, अगला कदम आलाकमान की ओर से औपचारिक तौर पर लिया जाएगा। यानी स्थितियां अनुकूल रहीं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार फिर अपनी बंधी हुई गुना लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में होंगे। वहीं, प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया अपने गृह नगर यानी ग्वालियर सीट से मैदान में उतरेंगी।
अब तक फंस रहा था ये पेंच!
आपको बता दें कि, गुना और ग्वालियर सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया का नाम लंबे समय से लगभग तय होने के बावजूद औपचारिक पुष्टी ना होने का कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया को माना जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि, सिंधिया चाहते थे कि उनकी पत्नी को सेफ सीट से चुनाव लड़ाया जाए। ग्वालियर प्रियदर्शिनी के लिए सेफ सीट तो है, लेकिन शनिवार तक उस सीट से बीजेपी के दिग्गन नेता नरेन्द्र सिंह तौमर की उम्मीदवारी करने की अटकलें काफी गर्म थीं। इसलिए सिंधिया का मानना था कि, अगर तौमर ग्वालियर से चुनावी मैदान में उतरेंगे, तो वह प्रियदर्शिनी को कांग्रेस की बंधी हुई गुना सीट से चुनावी मैदान में उतार देंगे। वरना उन्हें ग्वालियर से ही उम्मीदवारी कराना तो तय है ही।
इन समीकरणों ने अटका रखी थी सीट!
बहरहाल, हुआ भी कुछ ऐसा ही, शनिवार को जारी हुई बीजेपी की छठवीं लिस्ट में नरेन्द्र सिंह तौमर को मुरैना सीट से प्रत्याशी चुन लिया गया, जिसके बाद प्रियदर्शिनी के लिए ग्वालियर सीट का रास्ता साफ हो गया। ग्वालियर सीट कांग्रेस के लिए इसलिए भी मज़बूत सीट मानी जा रही है क्योंकि इसके अतर्गत आने वाली आठ विधानसभा सीटों में से सात कांग्रेस के पास हैं और सिर्फ एक सीट बीजेपी के खाते में है। यानी यहां कांग्रेस का वोट प्रतिशत ज्यादा है। वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया के सांसद क्षेत्र यानी गुना सीट के अंतर्गत आने वाली आठों सीटों में से पांच कांग्रेस के पास हैं, जबकि तीन बीजेपी के खाते में हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो, यहां मुकाबला ग्वालियर सीट के मुकाबले कड़ा हो सकता है। हालांकि, सिंधिया परिवार ने पिछले दो महीने से ही गुना सीट पर अपनी सक्रियता बढ़ा रखी है, ताकि कोई कोर कसर बाकि ना रहे। राजनीतिक जानकारों की माने तो सिंधिया इसलिए भी अब तक तय नहीं कर पा रहे थे कि, वो खुद कहां से चुनाव लड़ेंगे और पत्नी को कहां से चुनाव लड़ाने के लिए तैयार करेंगे। फिलहाल, अब लगभग सभी स्थितियां साफ हैं। क्षेत्र की जनता को इंतेज़ार है तो सिर्फ इस बात का कि, दोनो ही दिग्गजों के टिकट का ऐलान सोमवार को होगा कि, नहीं…।