पूनम पुरोहित मंथन न्यूज़ -हमारे मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भारत ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान व तमाम एशियाई देशों में तेजतर्रार, चालाक और बेहद सफल जासूस के रूप में जाने जाते हैं। उनका ये किस्सा बहुत प्रचलित है कि वे भारतीय होने के बावजूद दुश्मन देश पाकिस्तान में कई साल मुसलमान बनकर रहे। दुनियाभर में डोभाल के इस कौशल की तारीफ होती है। वे भारत के ऐसे एकमात्र नागरिक हैं जिन्हें शांतिकाल में दिया जाने वाले भारत का दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार कीर्ति चक्र दिया गया है। मगर एक घटना ऐसी भी है जिसमें भारत का यह सबसे विश्वस्त जासूस पाकिस्तान में पकड़े जाने से बाल-बाल बचा था।
लाहौर में एक प्रसिद्ध मजार के पास से गुजरते समय एक बूढ़े मौलाना ने उन्हें रोककर कहा था- ‘तुम हिंदू हो। इससे डोभाल खुद चौंक गए थे। किस्सा कुछ यूं है कि पाकिस्तान के लाहौर में किन्हीं औलिया की एक बड़ी मजार है। वहां कई धर्मावलंबी आते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं। जब डोभाल भेष बदलकर पाकिस्तान में मुसलमान बनकर रहते थे, तब वे कई बार मस्जिद या दरगाह में भी जाया करते थे, ताकि किसी को शक न हो। एक बार डोभाल उस मजार के पास से गुजर रहे थे, तभी एक बुजुर्ग ने उन्हें रोका और पूछा – तुम हिंदू हो? डोभाल चालाक जासूस थे, इसलिए सहज बने रहे और बड़ी सहजता से बोले- नहीं, मैं हिंदू नहीं हूं। बड़ी सफेद दाढ़ी वाले उस बुजुर्ग ने फिर पूरे विश्वास के साथ कहा- तुम हिंदू ही हो। अब डोभाल को लगने लगा कि हो न हो, इस आदमी ने उन्हें पहचान लिया हो और कहीं यह भेद न खोल दे। यदि भेद खुल जाता तो डोभाल का पाकिस्तान में बचना मुश्किल था। फिर भी डोभाल अपनी बात पर कायम रहे और कहने लगे कि ‘मैं तो मुस्लिम ही हूं, शायद आपको कोई गलतफहमी हुई है”।
इस पर बुजुर्ग ने कहा- मेरे साथ चलो, मैं बताऊंगा कि तुम हिंदू ही हो। निडर डोभाल उनके साथ चल दिए। वे डोभाल को मजार से तीन-चार गली दूर एक छोटे-से कमरे में ले गए और कहा- तुम हिंदू हो क्योंकि तुम्हारे कान छिदे हुए हैं। अब डोभाल मना नहीं कर सकते थे, क्योंकि यह पहचान वे छुपा नहीं सकते थे। तभी डोभाल ने देखा कि उस तंग कमरे में मां दुर्गा और हनुमानजी की तस्वीरें लगी हुई हैं। यह देख उन्होंने कहा- हां मैं हिंदू हूं, लेकिन आप कौन हैं? तब उस बुजुर्ग ने कहा- मैं भी कभी हिंदू ही था, लेकिन पाकिस्तान के मुस्लिमों ने मेरे पूरे परिवार को मार डाला। न्याय तो मिला नहीं, इसलिए मैं मजार पर बैठने लगा। अब लोग मुझे यहां का संत मानते हैं।
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