मध्य प्रदेश के बैतूल में जनसुनवाई के दौरान उस वक्त सन्नाटा पसर गया जब एक मजबूर मां-बाप अपनी बेटी को हाथ ठेले में बैठाकर मदद की गुहार लगाने पहुंचे. लेकिन वहां उनकी शिकायत सुनने वाला कोई नहीं था.
दरअसल, बीते 28 जुलाई को शीतल नाम की लड़की रोज की तरह चढ़ोकार कोचिंग सेंटर में पढ़ने गई थी. लेकिन उस दिन कोचिंग सेंटर के पोर्च पर फैले करंट के तारों पर शीतल का पांव पड़ गया और करंट का तेज झटका लगने से वो बुरी तरह से झुलस गई.
मजदूरी करने वाले शीतल के परिजनों का कहना है कि पिछले तीन महीने से वो अपनी बेटी के इलाज के लिये मदद मांगने दर-दर भटक रहे हैं. लेकिन कोचिंग सेंटर संचालक ने उनकी कोई मदद की.
शीतल के मुताबिक, कोचिंग सेंटर संचालक की लापरवाही से उसके साथ हादसा हुआ और अब वही मदद के लिये आगे नहीं आ रहा है. यदि कोचिंग सेंटर संचालक उन्हें उस जगह जाने से रोकते जहां करंट के तार फैले थे तो ये हादसा ही नहीं होता.
परिवार की सारी जमा-पूंजी खर्च
शीतल के परिजन मजदूरी करते हैं लेकिन पिछले तीन महीनों में वो अपनी हैसियत से कहीं ज्यादा लगभग ढ़ाई लाख रुपये अपनी बेटी की जिंदगी बचाने के लिये खर्च कर चुके हैं.
शीतल की मां के मुताबिक पहले तो कोचिंग सेंटर संचालक ने अपनी गलती मानते हुए मदद का आश्वासन दिया लेकिन इसके बाद वो अपने वादे से मुकर गया और अब तो वो उनसे धमकी भरे लहजे में बातें करता है .
संचालक ने आरोपों को झूठा बताया
संचालक सतीश चढ़ोकार के मुताबिक उसने लड़की के इलाज के लिये कभी मना नहीं किया. लेकिन लड़की के रिश्तेदार उसे लगातार धमकियां दे रहे हैं और पूरे ढ़ाई लाख की मांग कर रहे हैं.
पुलिस की दलील
कोचिंग सेंटर संचालक के खिलाफ तीन महीने पहले आपराधिक मामला दर्ज हुआ था लेकिन अब तक पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश नहीं किया है. चालान पेश करने में देरी पर पुलिस की दलील है कि कोई लापरवाही नहीं की गई है और पीड़ित लड़की के परिवार को मदद करने की व्यवस्था भी की जा रही है.